Report: सरकारी खरीद से गोदाम भरे, दिसंबर की शुरुआत में ही चावल का भंडार 12 फीसदी बढ़ा

2025 के पहले दस महीनों में भारत का चावल निर्यात सालाना आधार पर 37 फीसदी बढ़कर करीब 1.84 करोड़ टन तक पहुंच चुका है. निर्यातकों को भरोसा है कि पूरे वर्ष में शिपमेंट पिछले साल की तुलना में लगभग 25 फीसदी ज्यादा रहकर रेकॉर्ड 2.25 करोड़ टन के स्तर के आसपास जा सकता है.

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नई दिल्ली | Published: 23 Dec, 2025 | 11:31 AM
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Government rice procurement: देश के गोदामों में चावल का भंडार इस साल नई ऊंचाई पर पहुंच गया है. धान की ताजा फसल की तेज सरकारी खरीद के चलते दिसंबर की शुरुआत तक स्टॉक पिछले साल के मुकाबले करीब 12 फीसदी ज्यादा दर्ज किया गया. इससे भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकता है, जबकि थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं पर दबाव बढ़ने की संभावना है.

रिकॉर्ड स्तर पर चावल और गेहूं का स्टॉक

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 दिसंबर तक बिना पिसे धान सहित सरकारी चावल भंडार 5.75 करोड़ टन रहा, जो 1 जनवरी के लिए तय लक्ष्य से ऊपर है. इसी तारीख को गेहूं का स्टॉक भी 2.91 करोड़ टन पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष के 2.06 करोड़ टन से काफी अधिक है. खुले बाजार में गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे रहने के कारण सरकारी एजेंसियां किसानों से बड़ी मात्रा में खरीद कर रही हैं, फिर भी निजी व्यापारियों के पास निर्यात के लिए पर्याप्त स्टॉक बना हुआ है.

कमजोर रुपया और निर्यात की स्थिति

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई के कारोबारियों का कहना है कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मांग बहुत तेज नहीं है, लेकिन रुपये में कमजोरी से भारतीय चावल की कीमतें वैश्विक स्तर पर आकर्षक बनी हुई हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर जाने से विदेशी सौदों पर व्यापारियों की मार्जिन बढ़ी है. भारत पहले ही वैश्विक चावल व्यापार का लगभग 40 फीसदी हिस्सा अपने पास रखता है और पिछले साल मार्च में सभी निर्यात प्रतिबंध हटाने के बाद उसकी प्रतिस्पर्धा और बढ़ी है.

निर्यात में तेज उछाल और आगे की उम्मीद

2025 के पहले दस महीनों में भारत का चावल निर्यात सालाना आधार पर 37 फीसदी बढ़कर करीब 1.84 करोड़ टन तक पहुंच चुका है. निर्यातकों को भरोसा है कि पूरे वर्ष में शिपमेंट पिछले साल की तुलना में लगभग 25 फीसदी ज्यादा रहकर रेकॉर्ड 2.25 करोड़ टन के स्तर के आसपास जा सकता है. इधर, विपणन वर्ष की शुरुआत 1 अक्टूबर से अब तक सरकार किसानों से 4.22 करोड़ टन से अधिक धान उठा चुकी है, जिससे घरेलू बाजार में आपूर्ति की स्थिति भी मजबूत बनी हुई है.

कीमतों को काबू में रखने में मदद

चावल के साथ-साथ गेहूं का भरपूर भंडार इस साल सरकार के लिए बड़ी राहत साबित हो रहा है. पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होने के कारण सरकार खुले बाजार में बिक्री (ओपन मार्केट सेल) और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए समय-समय पर अनाज जारी कर पा रही है. इससे बाजार में आपूर्ति बनी हुई है और जमाखोरी पर भी लगाम लगी है. विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत भंडार की वजह से सरकार खाद्य कीमतों में अचानक होने वाले उछाल को रोकने में सफल रही है, जिससे आम लोगों पर महंगाई का दबाव कम हुआ है और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में मदद मिल रही है.

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