भिंडी की फसल में हो गया है कीटों का हमला? जानिए कैसे करें बचाव

भिंडी में कीटों से लड़ने का सबसे बेहतर तरीका है ‘समेकित कीट प्रबंधन’ यानी Integrated Pest Management (IPM). इसका मतलब है कि किसान कीटों से निपटने के लिए केवल रसायनों पर निर्भर न रहें, बल्कि कई उपायों का संयोजन करें.

नई दिल्ली | Published: 11 Jun, 2025 | 04:10 PM

भिंडी यानी ‘लेडी फिंगर’ भारत में खूब पसंद की जाने वाली सब्जी है. ये सिर्फ स्वाद में बेहतरीन नहीं होती, बल्कि पोषण के लिहाज से भी काफी फायदेमंद मानी जाती है. यही वजह है कि देश के लाखों किसान इसकी खेती करते हैं. लेकिन इस फसल के साथ एक बड़ी चुनौती भी जुड़ी है कीटों का हमला.

अक्सर देखा गया है कि अच्छे मौसम और मेहनत के बावजूद किसानों की भिंडी की फसल कीड़े लगने की वजह से खराब हो जाती है. अगर समय रहते इन कीटों को रोका न जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है. आइए जानते हैं कि भिंडी में कौन-कौन से कीट लगते हैं, उनका असर क्या होता है और किसान उनसे कैसे बचाव कर सकते हैं.

छेदक कीट

भिंडी में सबसे आम और खतरनाक कीट होता है फल छेदक. यह कीट भिंडी के फलों में अंडे देता है. जब अंडे से कीड़ा निकलता है, तो वह फल को अंदर से खाना शुरू कर देता है. इससे भिंडी का आकार खराब हो जाता है और वह बाजार में बिकने लायक नहीं रह जाती. किसान की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है.

इस कीट को समय पर पहचानना बहुत जरूरी है. अगर शुरुआत में ही इसके लक्षण दिख जाएं, जैसे फलों में छोटे छेद या अंदर सड़न, तो तुरंत जैविक या जरूरत हो तो रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

माहू

भिंडी के पौधों पर अक्सर छोटे-छोटे काले या हरे कीड़े नजर आते हैं, जो पत्तों का रस चूसते हैं. इन्हें माहू या एफिड्स कहा जाता है. इनके कारण पत्ते पीले और मुरझाए से लगने लगते हैं. ये कीड़े एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे पत्तों पर काली फफूंद जमने लगती है.

माहू से बचाव के लिए किसान नीम का तेल या घरेलू कीटनाशक जैसे कीटनाशक साबुन का प्रयोग कर सकते हैं. साथ ही खेत की साफ-सफाई का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है.

थ्रिप्स का असर

थ्रिप्स बहुत छोटे होते हैं, लेकिन नुकसान बड़ा करते हैं. ये कीट भिंडी के फूलों और पत्तियों पर हमला करते हैं, जिससे पत्ते मुरझा जाते हैं और फूल झड़ने लगते हैं. कई बार ये वायरस भी फैला देते हैं, जिससे पूरी फसल की सेहत पर असर पड़ता है.

थ्रिप्स को रोकने के लिए खेत में नियमित सफाई, खरपतवार को हटाना और जरूरत पड़ने पर जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. कुछ किसान परावर्तक प्लास्टिक (reflective mulch) का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे ये कीट भ्रमित हो जाते हैं और पौधों से दूर रहते हैं.

समेकित कीट प्रबंधन

भिंडी में कीटों से लड़ने का सबसे बेहतर तरीका है ‘समेकित कीट प्रबंधन’ यानी Integrated Pest Management (IPM). इसका मतलब है कि किसान कीटों से निपटने के लिए केवल रसायनों पर निर्भर न रहें, बल्कि कई उपायों का संयोजन करें.

इसमें खेत की नियमित निगरानी, फसल चक्र अपनाना, कीट-प्रतिरोधक बीजों का चयन, खेत में सफाई बनाए रखना और जरूरत के मुताबिक जैविक व रासायनिक उपायों का संतुलन शामिल होता है. इससे फसल की सेहत भी बनी रहती है और जहर के असर से पर्यावरण भी बचता है.