Uttar Pradesh Agriculture News: देश में पहली बार IIT रुड़की और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर एक ऐसा प्रोग्राम शुरू करने जा रहे हैं, जिससे किसान कार्बन क्रेडिट कमा सकेंगे. IIT रुड़की के मुताबिक, इस योजना से किसान सालाना प्रति हेक्टेयर 5,000 से 8,000 रुपये तक अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. अब तक यह सुविधा केवल निजी कंपनियों द्वारा ही दी जाती थी. इस सरकारी- अकादमिक साझेदारी में IIT रुड़की ने डिजिटल मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरीफिकेशन (DMRV) सिस्टम तैयार किया है, जो बेहतर जमीन प्रबंधन से होने वाले कार्बन लाभ को वैज्ञानिक तरीके से मापेगा. सत्यापित क्रेडिट से होने वाली आमदनी सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने योजना को पहले चरण में सहारनपुर डिवीजन में शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शमली जिले शामिल हैं. यहां करीब 1,771 ग्राम पंचायतों के 2 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकेंगे. कृषि विभाग द्वारा अधिकृत IIT रुड़की की इस योजना में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले DMRV सिस्टम का उपयोग किया जाएगा. यह सिस्टम मापेगा कि मिट्टी में कार्बन बढ़ा है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम हुआ है या नहीं. यह लाभ किसान अपनी फसल में न्यूनतम जुताई, कवर क्रॉपिंग, अवशेष प्रबंधन, एग्रोफॉरेस्ट्री और बेहतर जैविक उर्वरक उपयोग जैसी प्रथाओं से प्राप्त करेंगे.
किसानों को इस तरह मिलेगा फायदा
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के तहत होने वाले पर्यावरणीय लाभों को सत्यापित कार्बन क्रेडिट में बदला जाएगा और किसानों के लिए आमदनी का जरिया बनाया जाएगा. IIT रुड़की के निदेशक प्रोफेसर KK पंत के अनुसार, यह पहल किसानों को जलवायु संरक्षण में सीधे हिस्सेदार बनाती है और उनकी टिकाऊ कृषि प्रथाओं को वास्तविक और मापनीय आमदनी में बदलती है. वैज्ञानिक तरीके और व्यावहारिक क्रियान्वयन के जरिए हम किसानों को सशक्त बनाना, उनकी खेती की मजबूती बढ़ाना और कार्बन क्रेडिट के माध्यम से नए आर्थिक अवसर पैदा करना चाहते हैं.
भारत के जलवायु लक्ष्यों में योगदान देंगे
आईआईटी रुड़की के अर्थ विज्ञान विभाग के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर AS मौर्य ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक ढांचे से मिट्टी में संग्रहित हर टन कार्बन का सही मापन, सत्यापन और मौद्रीकरण होता है. यह सिर्फ कार्बन क्रेडिट की बात नहीं है, बल्कि मिट्टी की सेहत सुधारना, उत्पादन लागत कम करना और लाखों किसानों के लिए नए आय के स्रोत तैयार करना भी है. उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव (कृषि) रविंदर ने कहा कि राज्य सरकार IIT रुड़की की इस बदलाव लाने वाली पहल का स्वागत करती है. इस साझेदारी के जरिए किसान सीधे अपने टिकाऊ कृषि अभ्यास से लाभ उठा सकेंगे और साथ ही भारत के जलवायु लक्ष्यों में योगदान देंगे.