दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर, उत्तराखंड समेत इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

दिल्ली में यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, वहीं पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन और सड़कें टूटने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना जताई है.

नई दिल्ली | Published: 4 Sep, 2025 | 07:06 AM

देशभर में मानसून ने इस बार कुछ ज्यादा ही अपना असर दिखाया है. दिल्ली-एनसीआर से लेकर जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के पहाड़ों तक लगातार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. जहां दिल्ली में यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, वहीं पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन और सड़कें टूटने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना जताई है.

दिल्ली में लगातार बारिश और यमुना का उफान

राजधानी दिल्ली पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से जूझ रही है. निचले इलाकों में पानी भर गया है और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है. रिज और आयानगर में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई. शहर का तापमान भी सामान्य से नीचे चला गया है. मौसम विभाग के बार-बार बदलते अलर्ट ने लोगों को और भ्रमित कर दिया है. पहले ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किया गया, लेकिन जब स्थिति बदली तो इन्हें वापस लेकर येलो अलर्ट कर दिया गया.

यूपी और राजस्थान में बदलता मौसम

उत्तर प्रदेश में फिलहाल भारी बारिश का अलर्ट नहीं है. मौसम विभाग का कहना है कि अब 7 सितंबर तक वहां तेज बारिश की संभावना कम है, हालांकि कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है. दूसरी ओर, राजस्थान में पूर्वी हिस्सों में दो दिनों तक बारिश का दौर जारी रहेगा. मौसम विभाग ने यहां 30 जिलों में अलर्ट जारी किया है, जिनमें ज्यादातर जिले पूर्वी राजस्थान के हैं.

जम्मू-कश्मीर में नदी-नाले उफान पर

जम्मू-कश्मीर में लगातार बारिश से नदियों और जलाशयों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. कई इलाकों में मकानों और सड़कों को नुकसान हुआ है. मौसम विभाग ने यहां भारी बारिश और तेज हवाओं का अलर्ट जारी किया है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी भी होने की संभावना जताई गई है, जिससे तापमान और गिर सकता है.

उत्तराखंड में तबाही और बर्फबारी

उत्तराखंड में मानसून का असर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है. भूस्खलन के कारण हजारों सड़कें बंद हैं और यातायात पूरी तरह से बाधित है. लोक निर्माण विभाग के मुताबिक अब तक ढाई हजार से ज्यादा सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और करीब 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसून के बाद सड़क मरम्मत अभियान चलाने की बात कही है. गंगोत्री और बद्रीनाथ जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में सितंबर की शुरुआत में ही बर्फबारी होने लगी है, जो आमतौर पर अक्टूबर के बीच में होती है. यह पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और मानसून की ताकत का नतीजा है.

सितंबर की शुरुआत में ही बिगड़े हालात

इस बार मानसून ने अगस्त महीने में सामान्य से डेढ़ गुना ज्यादा बारिश दी और सितंबर की शुरुआत में भी बारिश का दौर जारी है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों तक राहत की उम्मीद कम है. पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानों में जलभराव ने साफ कर दिया है कि इस बार मानसून ने उत्तर भारत की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.