GSI की रिपोर्ट ने किया खुलासा, देश में इन राज्यों को भूस्खलन का सबसे बड़ा खतरा

रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नागालैंड में सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके पाए गए हैं. इन जगहों पर पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 21 Aug, 2025 | 08:45 AM

देश इस समय बदलते मौसम और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से जूझ रहा है. इनमें भूस्खलन (Landslide) एक गंभीर समस्या बन चुकी है, खासकर हिमालयी राज्यों और पहाड़ी इलाकों में. लगातार हो रही भारी बारिश, अंधाधुंध सड़क निर्माण और जंगलों की कटाई के कारण पहाड़ कमजोर होते जा रहे हैं. ऐसे में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पूरे देश के भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों का वैज्ञानिक मानचित्रण (Mapping) कर लिया है.

पूरे देश का भूस्खलन मानचित्र तैयार

GSI ने राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण (NLSM) कार्यक्रम के तहत हिमालयी क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट जैसे संवेदनशील इलाकों की मैपिंग की है. यह काम बेहद बड़े स्तर पर किया गया है और लगभग 4.3 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है. इस अध्ययन से यह साफ हो गया है कि देश के किन हिस्सों में भूस्खलन का खतरा सबसे ज्यादा है.

राज्यों का हाल- कहां ज्यादा खतरा?

रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नागालैंड में सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके पाए गए हैं. इन जगहों पर पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं. वहीं, असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में ज्यादातर क्षेत्र कम संवेदनशील श्रेणी में आते हैं.

हर साल अपडेट होते हैं आंकड़े

GSI के मुताबिक, अब तक देशभर में करीब 33,904 भूस्खलनों का सत्यापन किया जा चुका है. खास बात यह है कि हर साल नए आंकड़े जुड़ते ही डेटाबेस अपडेट किया जाता है. इससे न केवल आपदा प्रबंधन आसान होगा, बल्कि नई सड़कें, पुल और अन्य विकास कार्य भी सुरक्षित ढंग से किए जा सकेंगे.

तकनीक से होगा खतरे का अंदाजा

सिर्फ मैपिंग ही नहीं, बल्कि GSI ने भूस्खलन पूर्वानुमान प्रणाली (Forecast System) पर भी काम शुरू किया है. इसमें बारिश की सीमा, मौसम मॉडल और वास्तविक आंकड़ों के आधार पर समय रहते चेतावनी दी जा सकेगी. 2025 के मानसून से तो हिमाचल, उत्तराखंड, दार्जिलिंग और केरल के कई जिलों में चेतावनी बुलेटिन भी जारी किए जा रहे हैं.

केंद्र सरकार की मदद

भूस्खलन-प्रवण राज्यों को केंद्र सरकार से भी विशेष सहायता मिल रही है. आपदा मित्र योजना के तहत स्थानीय लोगों और स्वयंसेवकों को आपदा से निपटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इससे आपदा आने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सकेगा.

क्यों जरूरी है ये पहल?

पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि एक बड़ी बारिश पहाड़ों को कैसे तबाह कर देती है. उत्तराखंड और हिमाचल की तस्वीरें सबको डरा देती हैं. हजारों लोग हर साल भूस्खलन की वजह से अपनी जान गंवाते हैं या घर उजड़ जाते हैं. ऐसे में GSI का यह कदम न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से अहम है, बल्कि लोगों की जान और भविष्य दोनों को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा.

Published: 21 Aug, 2025 | 08:41 AM