इंडिगो संकट से किसानों को लाखों का नुकसान, एयरपोर्ट पर फंसे टन–भर फल, फूल और सब्जियां

समय पर उड़ानें न मिलने के कारण ताजा माल खराब होने लगा है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस पूरे हालात ने किसानों, व्यापारियों और लॉजिस्टिक कंपनियों की कमर तोड़ दी है. चूंकि फलों पर बीमा नहीं होता, इसलिए पूरा नुकसान किसानों और व्यापारियों को ही उठाना पड़ रहा है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Dec, 2025 | 07:38 AM

IndiGo crisis: देश में चल रहा इंडिगो एयरलाइन का संकट अब सिर्फ यात्रियों को परेशान नहीं कर रहा, बल्कि इसका असर सीधेसीधे किसानों और व्यापारियों की रोजीरोटी पर पड़ने लगा है. पुणे एयरपोर्ट पर हजारों किलो ताजी स्ट्रॉबेरी, गुलाब और विदेशी सब्जियों के खेप कई दिनों से फंसे पड़े हैं. समय पर उड़ानें न मिलने के कारण यह ताजा माल खराब होने लगा है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस पूरे हालात ने किसानों, व्यापारियों और लॉजिस्टिक कंपनियों की कमर तोड़ दी है.

पांच दिन से स्ट्रॉबेरी की खेप अटकी, लाखों का नुकसान

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महाबलेश्वर के अनिल येले रोज करीब 45 किसानों से स्ट्रॉबेरी इकट्ठा करते हैं और देशभर के बाजारों में सप्लाई करते हैं. आम तौर पर वे रोजाना 4 से 5 लाख रुपये का व्यापार करते हैं, लेकिन इंडिगो संकट ने उनके काम को लगभग ठप कर दिया है

पिछले चारपांच दिनों में उनकी एक भी खेप पुणे एयरपोर्ट से बाहर नहीं जा सकी. हर दिन 2.5 टन स्ट्रॉबेरी देश के अलगअलग शहरों कोलकाता, चेन्नई, गुवाहाटी  भेजी जाती थी, लेकिन अब सारा माल गोदामों में सड़ने की कगार पर है. चूंकि फलों पर बीमा नहीं होता, इसलिए पूरा नुकसान किसानों और व्यापारियों को ही उठाना पड़ रहा है.

कार्गो संचालन में 55 फीसदी की गिरावट

पुणे एयरपोर्ट के कार्गो विभाग के संयुक्त महाप्रबंधक प्रदीप कुमार सिंह के अनुसार, संकट शुरू होने के बाद से एयर कार्गो मूवमेंट 55 फीसदी तक गिर चुका है.

सामान्य दिनों में 180–190 मीट्रिक टन कार्गो आता जाता है, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 90 मीट्रिक टन रह गया है. अंतरराष्ट्रीय कार्गो पर असर कम है, क्योंकि वहां उड़ानों की संख्या सीमित है. इस कमी का सीधा असर किसानों, फूल उत्पादकों और कई उद्योगों पर पड़ा है.

शादी के मौसम में किसानों का नुकसान दोगुना

मावल के किसान रोजाना देशभर में गुलाब भेजते हैं. शादीविवाह का सीजन होने के कारण इन दिनों फूलों की मांग दोगुनी रहती है. गुलाब की कीमतें भी 200–250 रुपये से बढ़कर 500 रुपये प्रति बुके तक पहुंच गई थीं.

लेकिन अब ऑर्डर रद्द हो रहे हैं. कोलकाता, गुवाहाटी, रांची और जयपुर जैसे दूरदराज शहरों से आने वाले ऑर्डर 20% तक घट गए हैं.

फ्लोरिकल्चर प्रोफेशनल्स सोसायटी के अध्यक्ष प्रभीन शर्मा बताते हैं कि कार्गो रुकने से गुलाब की गुणवत्ता गिर रही है और किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है. मजबूरी में कई लोग बसों और ट्रेनों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन लंबी यात्रा के कारण फूल ताजा नहीं रह पाते.

विदेशी सब्जियां भी फंस गईं

आइसबर्ग लेट्यूस, सेलरी, पार्सले, ब्रोकोली और चेरी टोमैटो जैसी विदेशी सब्जियां मुख्य रूप से हवाई मार्ग से ही भेजी जाती हैं. चारपांच दिनों से फ्लाइट न मिलने के कारण किसान इन्हें पुणे और आसपास के स्थानीय बाजारों में कम दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं.

श्रीनाथ एग्रो के रविंद्र वाघ बताते हैं कि कई बार उड़ानों के अचानक रद्द होने से पूरा माल बारबार उतारनाचढ़ाना पड़ता है. एक खेप को पुणे से बेंगलुरु पहुंचने में 48 घंटे लग गए, जबकि ताजा सब्जियों के लिए यह देरी बहुत बड़ी होती है.

उद्योगों पर भी असर

केवल किसान ही नहीं, लॉजिस्टिक कंपनियां और उद्योग भी इस संकट की मार झेल रहे हैं. एसबी लॉजिस्टिक्स के संचालक संदीप भोसलें ने बताया कि ऑटोमोबाइल पार्ट्स और वैक्सीन की डिलीवरी भी प्रभावित हो रही है. कई कंपनियों को अपने शिपमेंट वापस लेना पड़ा और वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी पड़ रही है. पश्चिम महाराष्ट्र के लिए पुणे एक बड़ा कार्गो हब है, इसलिए यहां रुकावट का असर पूरी सप्लाई चेन पर दिखाई दे रहा है.

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