न दिखने वाला ये खतरा चुपचाप उजाड़ देता है पोल्ट्री फार्म, जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी

बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्म के लिए एक अदृश्य लेकिन बेहद खतरनाक खतरा होता है, जो जरा सी लापरवाही से पूरे फार्म को उजाड़ सकता है. हालांकि, सही देखभाल और प्रबंधन से इस नुकसान को रोका जा सकता है.

नोएडा | Published: 20 Jul, 2025 | 05:55 PM

पोल्ट्री फार्मिंग यानी मुर्गी पालन से हजारों किसान हर महीने अच्छा मुनाफा कमाते हैं. लेकिन बरसात के मौसम में एक अदृश्य खतरा फार्म को चुपचाप बर्बादी की तरफ धकेल सकता है. ये खतरा दिखाई तो नहीं देता, लेकिन इसका असर इतना गंभीर होता है कि पूरा पोल्ट्री शेड बीमारियों की चपेट में आ जाता है. इस खतरा का नाम है अमोनिया गैस, जो मुर्गियों के स्वास्थ्य और फार्म की आय दोनों को सीधे प्रभावित करता है.

दराअसल, बारिश के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है. ऐसे में पोल्ट्री शेड में बिछाए गए बुरादे (लीटर) के गीला होने से उसकी सोखने की क्षमता खत्म हो जाती है. ऐसे में मुर्गियों की बीट(मलमूत्र ) और नमी के कारण शेड के अंदर अमोनिया गैस बनती है, जो धीरे-धीरे मुर्गियों के शरीर में जहर की तरह फैलती है.

अमोनिया बनने का कारण और असर

बरसात में जब बुरादा गीला हो जाता है तो वह मुर्गियों की मलमूत्र को सोख नहीं पाता. इससे अमोनिया गैस  बनने लगती है. यह गैस मुर्गियों के शरीर में जाकर टॉक्सिसिटी पैदा करती है. इसका असर उनकी भूख पर पड़ता है. यही वजह है कि मुर्गियां दाना कम खाने लगती हैं और उनका वजन बढ़ना रुक जाता है. धीरे-धीरे यह गैस मुर्गियों के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे श्वास नली की बीमारी और बाद में क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (CRD) का रूप ले लेती है.

पोस्टमार्टम में दिखते हैं ये लक्षण

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमोनिया से प्रभावित मुर्गियों की मौत के बाद जब पोस्टमार्टम किया जाता है तो कई गंभीर लक्षण सामने आते हैं. इस रोग से पीड़ित मुर्गियों में श्वास नली में सूजन और लालपन दिखता है, फेफड़ों में निमोनिया जैसे लक्षण होते हैं. इसके अलावा, लिवर और किडनी का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है और दिल की झिल्ली में पानी भर जाता है. ये लक्षण पोल्ट्री फार्म में अमोनिया की खतरनाक स्थिति को दर्शाते हैं. यदि समय पर सावधानी न बरती जाए और इलाज में देरी हो तो पूरा फार्म बर्बाद हो सकता है. इसलिए सतर्कता और सही प्रबंधन बेहद जरूरी है.

इससे बचने के लिए करना होगा ये काम

अमोनिया की समस्या से बचाव के लिए पोल्ट्री फार्म में साफ-सफाई और सतर्कता बेहद जरूरी है. इसके लिए शेड में हमेशा सूखा और ताजा बुरादा बिछाएं, क्योंकि गीला बुरादा गैस बनने की बड़ी वजह होता है. इसके अलावा, बुरादे में चूना और अमोनिया बाइंडर मिलाने से गैस बनने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है. जहां भी नमी दिखे, वहां का बुरादा तुरंत बदल दें. शेड का वेंटिलेशन ऐसा रखें कि हवा का आवागमन बना रहे और गैस आसानी से बाहर निकल सके. इतना ही नहीं मुर्गियों को लिवर टॉनिक और डायूरेटिक देना लाभकारी होता है. अगर गैस की मात्रा ज्यादा लगे तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें.

पोल्ट्री फार्म  को बचाने के लिए जरूरी है कि हर मौसम में विशेष सतर्कता बरती जाए. अमोनिया गैस भले ही दिखती नहीं, लेकिन इसकी वजह से पोल्ट्री पालकों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है. थोड़ी सी सावधानी अपनाकर आप अपने फार्म और आय दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं.