मसाला खेती में सुनहरा मौका, बड़ी इलायची से होगी जबरदस्त कमाई, जानिए सही तरीका

बड़ी इलायची न सिर्फ रसोई का अहम हिस्सा है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसका खास स्थान है. इसका इस्तेमाल मसालों, दालों, चाय, मिठाइयों और दवाओं में किया जाता है. पाचन सुधारने, सांस की समस्याओं में राहत देने और मुंह की दुर्गंध दूर करने में यह लाभकारी मानी जाती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 16 Dec, 2025 | 01:16 PM

Farming Tips: भारत में खेती अब सिर्फ परंपरागत जरूरतों तक सीमित नहीं रह गई है. बदलते समय के साथ किसान खेती को एक आधुनिक और लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. इसी सोच के चलते अब किसान ऐसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जो कम क्षेत्र में ज्यादा आमदनी दे सकें. बड़ी इलायची ऐसी ही एक मसाला फसल है, जिसे काली इलायची या भूरी इलायची भी कहा जाता है. अपने खास स्वाद, तेज सुगंध और औषधीय गुणों के कारण इसे “मसालों की रानी” के नाम से जाना जाता है. बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए सही तरीके से खेती करने पर यह किसानों की आय बढ़ाने का मजबूत जरिया बन सकती है.

बड़ी इलायची का महत्व और उपयोग

बड़ी इलायची न सिर्फ रसोई का अहम हिस्सा है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसका खास स्थान है. इसका इस्तेमाल मसालों, दालों, चाय, मिठाइयों और दवाओं में किया जाता है. पाचन सुधारने, सांस की समस्याओं में राहत देने और मुंह की दुर्गंध दूर करने में यह लाभकारी मानी जाती है. इसी बहुउपयोगी स्वभाव के कारण इसकी बाजार कीमत अच्छी रहती है और किसानों को बेहतर मुनाफा मिलता है.

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

बड़ी इलायची की खेती के लिए काली, गहरी और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की अच्छी मात्रा होनी चाहिए. भूमि का पीएच मान 4.5 से 7.2 के बीच हो तो पौधों की बढ़वार बेहतर होती है. जलवायु की बात करें तो यह फसल उष्णकटिबंधीय और हल्की ठंडी जलवायु में अच्छी तरह पनपती है. 10 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए अनुकूल माना जाता है. अधिक गर्मी या पाला इसकी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

नर्सरी से रोपाई तक का सफर

बड़ी इलायची की खेती सीधे खेत में नहीं की जाती, बल्कि पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. बीजों की बुवाई नर्सरी में उचित दूरी पर की जाती है और अंकुरण के बाद पौधों को हल्की छाया दी जाती है. जब पौधे मजबूत हो जाएं, तब जुलाई या अगस्त महीने में उनकी रोपाई खेत में की जाती है. रोपाई से पहले खेत में गड्ढे तैयार कर उनमें जैविक खाद मिलाई जाती है. पौधों के बीच उचित दूरी रखना जरूरी होता है ताकि उन्हें फैलने और बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.

खाद, सिंचाई और देखभाल

बड़ी इलायची की अच्छी पैदावार के लिए जैविक खाद और संतुलित उर्वरक बेहद जरूरी हैं. रोपाई के समय और बाद में समय-समय पर खाद डालने से पौधों की ताकत बढ़ती है. इस फसल को लगातार नमी की जरूरत होती है, इसलिए मानसून के बाद नियमित सिंचाई करना जरूरी होता है. साथ ही खरपतवार से बचाव के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिल सके.

कटाई, उत्पादन और कमाई

जब बड़ी इलायची के फल पूरी तरह पक जाएं, तब उनकी कटाई की जाती है. कटाई के बाद फलों को छाया में सुखाया जाता है ताकि गुणवत्ता बनी रहे. सही देखभाल के साथ तीसरे और चौथे साल से फसल देना शुरू हो जाती है. एक हेक्टेयर से 500 से 700 किलो तक उत्पादन संभव है. बाजार में बड़ी इलायची की कीमत 900 से 1200 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है, जिससे किसान सालाना 2 से 3 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.

भंडारण से बनी रहती है गुणवत्ता

सूखाई के बाद बड़ी इलायची को नमी से बचाकर सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है. सही भंडारण से इसकी सुगंध और गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है.

कुल मिलाकर, बड़ी इलायची की खेती उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जो परंपरागत खेती से आगे बढ़कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं. सही तकनीक, धैर्य और देखभाल के साथ यह फसल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती है.

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