Livestock Hoof Care: – बरसात का मौसम जहां खेत-खलिहानों के लिए राहत लेकर आता है, वहीं पशुपालकों के लिए कई समस्याएं भी खड़ी कर देता है. खासकर गाय, भैंस, बैल जैसे मवेशियों के खुर सड़ने की समस्या मॉनसून में आम हो जाती है. लगातार कीचड़, गंदगी और नमी में रहने के कारण जानवरों के खुर सड़ने लगते हैं. अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह बीमारी जानवरों को चलने-फिरने लायक भी नहीं छोड़ती.
लेकिन अच्छी बात ये है कि इस बीमारी को घरेलू और देसी उपायों से रोका और ठीक किया जा सकता है. हल्दी, नीम और चूने जैसे आसान उपायों से पशुओं के खुरों को सड़ने से बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के आसान तरीके.
क्या है खुर सड़ने की बीमारी?
बरसात के मौसम में जब पशु लगातार गीले और कीचड़ वाले माहौल में रहते हैं, तो उनके खुरों में सड़न शुरू हो जाती है. इसे स्थानीय भाषा में खुर गलना कहा जाता है. यह बीमारी धीरे-धीरे खुर की ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचाने लगती है और जानवरों को दर्द होने लगता है. कई बार पशु लंगड़ाने भी लगते हैं. समय रहते इलाज न हो तो संक्रमण और गहरा हो सकता है.
बरसात में क्यों बढ़ती है ये समस्या?
मानसून में चारों ओर कीचड़ और गीला वातावरण बन जाता है. पशु उसी गीले और गंदे स्थान पर खड़े रहते हैं जहां गोबर, पेशाब और कीचड़ जमा होता है. इससे उनके खुरों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और सड़न शुरू हो जाती है. ज्यादा देर तक गंदगी में खड़े रहने से यह बीमारी तेजी से फैलती है. बचाव का सबसे पहला उपाय है- पशुओं को ऐसी जगह बांधें जो सूखी और साफ हो.
हल्दी और नीम: देसी इलाज का असरदार तरीका
पुराने समय से ही देसी नुस्खों से पशुओं का इलाज होता आया है. हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. जब खुरों पर हल्दी का लेप किया जाता है, तो यह सड़न को रोकता है और घाव जल्दी भरता है. वहीं, नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से खुर धोने या खुर पर डालने से संक्रमण रुकता है. नीम का काढ़ा बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है और घाव को खराब होने से बचाता है. यह देसी तरीका सस्ता भी है और कारगर भी. पशुपालक इसे आसानी से अपनाकर खुर सड़ने की बीमारी को काबू में रख सकते हैं.
चूना भी है बड़ा कारगर, रखें पशुशाला साफ
खुर सड़ने की बीमारी का एक बड़ा कारण है- गंदगी और नमी. इसलिए जरूरी है कि जहां पशुओं को बांधा जाता है, वहां चूने का छिड़काव नियमित रूप से करें. चूना बैक्टीरिया और कीटाणुओं को नष्ट करता है और जमीन को सूखा बनाए रखता है. पशुशाला को हर दिन साफ करना चाहिए और गोबर-पेशाब तुरंत हटाना चाहिए. जितनी अच्छी सफाई होगी, उतना कम बीमारी का खतरा रहेगा.
जरूरत पड़े तो दवा का भी करें इस्तेमाल
अगर बीमारी बढ़ गई हो या संक्रमण ज्यादा हो गया हो, तो घरेलू उपायों के साथ-साथ दवा का इस्तेमाल भी जरूरी हो जाता है. पशु चिकित्सकों के अनुसार, मिथिलीन ब्लू, हूकर मेडिसिन या फॉर्मलीन लिक्विड जैसी दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, जो खुर के घाव पर लगाई जाती हैं. इससे खुर की सड़न रुकती है और जानवर जल्दी ठीक होता है. दवा लगाने से पहले खुर को साफ पानी से धोना जरूरी है, फिर साफ कपड़े से पोंछकर दवा लगानी चाहिए.