इस राज्य में 4 नई कृषि नीतियां लॉन्च, अब ‘e-RUPI’ के जरिए किसानों को मिलेगी सब्सिडी

उत्तराखंड सरकार ने बागवानी और कृषि को बढ़ावा देने के लिए 'ई-रुपी' सिस्टम और चार नई नीतियों की शुरुआत की है. ड्रैगन फ्रूट, कीवी, सेब और मिलेट मिशन पर फोकस किया गया है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 18 May, 2025 | 11:07 AM

उत्तराखंड में बागवानी फसल की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देहरादून सचिवालय में ‘ई-रुपी’ सिस्टम और चार नई कृषि नीतियों की शुरुआत की. इनमें ड्रैगन फ्रूट नीति, कीवी नीति, सेब प्रबंधन योजना और मिलेट मिशन शामिल हैं. नई कृषि नीति के तहत राज्य में बागवानी के ऊपर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. वहीं. ‘ई-रुपी’ सिस्टम की मदद से किसानों के खातों में सीधा सब्सिडी राशि भेजी जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि इसकी इस पहल की राज्य में बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की कमाई में इजाफा होगा.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-रुपी सिस्टम किसानों के लिए एक पारदर्शी, तेज और बिचौलियों से मुक्त डिजिटल पेमेंट का तरीका बनेगा. इस सिस्टम के तहत पायलट प्रोजेक्ट्स में सब्सिडी की राशि किसानों के मोबाइल पर ई-वाउचर के रूप में सीधे भेजी जाएगी. किसान इन वाउचर्स का इस्तेमाल खाद, बीज, दवाइयां आदि अधिकृत दुकानों से खरीदने में कर सकेंगे. धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांवों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि किसान इस नई तकनीक को समझ सकें और इसका पूरा लाभ उठा सकें.

पलायन जैसी समस्याओं पर भी नियंत्रण

उन्होंने कहा कि इन योजनाओं का मकसद राज्य के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में कृषि और रोजगार को मजबूत करना है, जिससे पलायन जैसी समस्याओं पर भी नियंत्रण हो सके. ये योजनाएं उत्तराखंड को आत्मनिर्भर, सशक्त और अग्रणी कृषि राज्य बनाने में मील का पत्थर साबित होंगी. कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 2030-31 तक 5,000 हेक्टेयर में अल्ट्रा-डेंस सेब के बाग तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि राज्य में सेब उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके. इसके लिए 144.5 करोड़ रुपये की योजना शुरू की गई है, जिसमें सेब के भंडारण और ग्रेडिंग की व्यवस्था की जाएगी.

3,500 हेक्टेयर में होगी कीवी की खेती

मंत्री ने कहा कि मिलेट नीति के तहत 134.8 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसके जरिए 2030-31 तक 70,000 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती होगी. किसानों को बीज बोने और फसल बेचने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. कीवी नीति में कुल 894 करोड़ रुपये की लागत से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसका सालाना उत्पादन लक्ष्य करीब 14,000 मीट्रिक टन है. अगले 6 सालों में 3,500 हेक्टेयर में कीवी की खेती की जाएगी, जिससे 9,000 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा.

ड्रैगन फ्रूट नीति के तहत खर्च होंगे 15 करोड़ रुपये

ड्रैगन फ्रूट नीति के तहत 15 करोड़ रुपये की योजना शुरू की गई है, जिससे 228 एकड़ में खेती कर 350 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, 144.5 करोड़ रुपये की सेब फसल-प्रबंधन योजना के तहत 5,000 हेक्टेयर में अल्ट्रा-डेंस सेब के बाग लगाए जाएंगे, जिससे सेब की क्वालिटी और उत्पादन दोनों बेहतर होंगे. वहीं, मिलेट नीति के तहत 135 करोड़ रुपये की लागत से दो चरणों में 68 विकासखंडों में 70,000 हेक्टेयर भूमि पर मोटे अनाज (मिलेट) की खेती शुरू की जाएगी, ताकि राज्य में पोषणयुक्त अनाज को बढ़ावा मिल सके और किसानों की आमदनी भी बढ़े.

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Published: 18 May, 2025 | 11:06 AM

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