किसान अपनी फसल से बेहतर उत्पादन के लिए वो सबकुछ करते हैं जो जरूरी होता है. फिर भी कई बार किसी न किसी कारण से फसल से बेहतर उत्पादन हीं मिल पाता है और किसानों को नुकसान हो जाता है. किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है. ऐसे में ज्यादातर किसान निराश होकर बैठ जाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र में रहने वाले एक किसान ने फसल से सही उपज न मिलने के कारण हताश होकर बैठने की जगह आपदा को अवसर में बदल दिया.
दरअसल, महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के अंगार गांव में रहने वाले किसान अप्पा करमाकर गन्ने की खेती करते थे लेकिन सही जलवायु और पानी न होने के कारण उन्हें गन्ने की फसल से फायदा नहीं हुआ जिसके बाद उन्होंने अपने खेत में सहजन की खेती की शुरुआत की और आज उससे अच्छी कमाई कर रहे हैं.
पेशे से शिक्षक हैं अप्पा करमाकर
महाराष्ट्र के सोलापुर गांव में रहने वाले अप्पा करमाकर पेशे से शिक्षक हैं, बच्चों को पढ़ाने के बाद उन्हें जो खाली समय मिलता है उसमें वे खेती करते हैं. बात साल 2014 से 2016 के बीच की है जब वे गन्ने की खेती कर रहे थे लेकिन बारिश कम होने के कारण उन्हें गन्ने की फसल से अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी. ऐसे में उन्होंने मौसम और जलवायु को समझते हुए आपदा को अवसर में बदल दिया. उन्होंने कम पानी में उगने वाली फसल की खेती करने का फैसला लिया. जिसके लिए उन्होंने सहजन यानी मोरिंगा का चुनाव किया. बता दें कि मोरिंगा की खेती कम पानी में भी की जा सकती है और इसकी खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
15 हजार रुपये लगाकर शुरू की खेती
वेबसाइट 30 स्टेड्स से बात करते हुए अप्पा ने कहा कि उन्होंने 15 हजार रूपये की लागत से सहजन की खेती की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि गन्ने निकालने के बाद उन्होंने खेत में गोबर की खाद डाल कर खेत की उर्वरता बढ़ाई और खेत को सहजन की खेती के लिए तैयार किया. उन्होंने बताया कि इसकी खेती के लिए एक एकड़ में एक ट्राली गोबर की जरुरत होती है. फिर गड्ढे खोदे जाते हैं. इसके बाद उन्होंन लाइन से लाइन की बीच 10 फिट और पौधे से पौधे के बीच 4 फीट की दूरी रखी.आगे अप्पा बताते हैं कि एक एकड़ के लिए आधा किलो बीज की जरूरत होती है, जिसे सीधे मिट्टी में डाला जा सकता है. बता दें कि सहजन के बीज की कीमत आमतौर पर 4 हजार रुपये प्रति किलोग्राम होती है.
अप्पा ने बताया कि उन्होंने ODC3 सहजन की किस्म के बीज खरीदे और तीन एकड़ में बोए. उन्होंने बताया कि सहजन के पौधों में तीन- चार महीने में फूल आने लगते हैं और पहली फसल बुवाई के छह महीने बाद तैयार हो जाती है. उनका कहना है कि बीज साल के किसी भी समय बोए जा सकते हैं, हालांकि उनको बोने का अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है. वे कहते हैं कि एक एकड़ में आमतौर पर लगभग 800 सहजन के पौधे हो सकते हैं. अप्पा ने बताया कि वे अपनी फसल में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
7.5 लाख का हुआ मुनाफा
अप्पा की पहली फसल 2017 में तैयार हुई और उन्होंने उसे 70 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा. उनका कहना है कि यह गन्ने की कीमत से दस गुना ज्यादा थी.आज अप्पा लगभग 8 टन सहजन की फसल उगाते हैं. उनकी उपज रोजाना पुणे भेजी जाती है.इससे वे प्रति एकड़ 8 लाख रुपए और तीन एकड़ में 24 लाख रुपए का मुनाफा कमा लेते हैं. पिछले साल अप्पा ने बाजार में सहजन की भारी मांग के चलते 500 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सहजन बेची और अच्छा मुनाफा कमाया है. उनका सलाना खर्च 50,000 रुपए प्रति एकड़ है जिससे उन्हें प्रति एकड़ 7.5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ.