बेमौसम बरसात से तबाह फसलों का मिलेगा मुआवजा, महाराष्ट्र सरकार ने दी 337 करोड़ की मंजूरी

खेतों में तैयार खड़ी फसलें तेज बारिश और ओलावृष्टि की मार से तबाह हो गईं. कपास, गेहूं, चना और अरहर जैसी प्रमुख फसलें कई जिलों में बर्बाद हो गईं. लेकिन अब इस संकट की घड़ी में महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के लिए राहत का हाथ बढ़ाया है.

नई दिल्ली | Published: 24 Jul, 2025 | 11:33 AM

इस बार की फरवरी से मई तक की बेमौसम बारिश ने महाराष्ट्र के हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. खेतों में तैयार खड़ी फसलें तेज बारिश और ओलावृष्टि की मार से तबाह हो गईं. कपास, गेहूं, चना और अरहर जैसी प्रमुख फसलें कई जिलों में बर्बाद हो गईं. लेकिन अब इस संकट की घड़ी में महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के लिए राहत का हाथ बढ़ाया है. सरकार ने ऐलान किया है कि बेमौसम बारिश से नुकसान झेलने वाले किसानों को 337.41 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि वे फिर से अपने खेतों को संभाल सकें.

खत्म होगी चौलियों की भूमिका

इस राहत राशि को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा. सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ सहायता समय पर पहुंचेगी, बल्कि बीच में किसी प्रकार की गड़बड़ी या बिचौलियों की भूमिका भी नहीं रहेगी. जिला कलेक्टरों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे लाभ पाने वाले किसानों की सूची को पोर्टल पर सार्वजनिक करें, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे.

सबसे ज्यादा नुकसान

सबसे ज्यादा असर विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे इलाकों में देखने को मिला है. विदर्भ में फरवरी महीने में हुई ओलावृष्टि से चना, गेहूं और तुअर की फसलें बर्बाद हो गईं. वहीं जालना जिले के दो तालुका क्षेत्रों में करीब 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलें चौपट हो गईं. इससे किसानों की कमाई ही नहीं, बल्कि उनका आत्मबल भी टूटने लगा था.

लेकिन अब सरकार के इस फैसले से उन किसानों को दोबारा खड़े होने की ताकत मिलेगी. यह राहत सिर्फ पैसों की नहीं, बल्कि एक उम्मीद की है कि सरकार उनके साथ खड़ी है, और मुसीबत के समय में उनका साथ नहीं छोड़ेगी.

किसानों को मिलेगी राहत

इस आर्थिक पैकेज से जहां किसानों को तात्कालिक राहत मिलेगी, वहीं भविष्य में फसल बीमा जैसी योजनाओं को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी. महाराष्ट्र सरकार की यह पहल सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि उन लाखों किसानों के प्रति जवाबदेही की मिसाल है, जिनकी पूरी जिंदगी खेत और मौसम पर टिकी है.