Polyhouse Subsidy Scheme: पॉलीहाउस पर सब्सिडी कैसे मिले? पूरी प्रक्रिया

Polyhouse Farming: पॉलीहाउस खेती किसानों को मौसम के जोखिम से बचाकर सालभर फसल उगाने का मौका देती है. केंद्र सरकार इस तकनीक पर 50 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. सही जानकारी, सही आवेदन और तय प्रक्रिया अपनाकर किसान कम जमीन में भी अधिक उत्पादन और बेहतर आमदनी हासिल कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पॉलीहाउस खेती सब्सिडी के लिए कैसे आवेदन करें और किन दस्तावेजों की जरूरत होती है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Updated On: 22 Dec, 2025 | 02:44 PM
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Polyhouse Farming : आज के समय में खेती केवल बारिश और मौसम पर निर्भर नहीं रहती. किसान अब नई तकनीकें अपना रहे हैं, जिससे उनकी फसल मौसम की बदलाव, कीट और बीमारियों से सुरक्षित रहती है. पॉलीहाउस खेती इस आधुनिक तकनीक का सबसे सफल उदाहरण बनकर उभरी है. इसमें किसान नियंत्रित वातावरण में सब्जियां और फूल उगाते हैं. इससे फसल सालभर उगाई जा सकती है और किसान जल्दी बाजार में पहुंचकर अच्छी कीमत पा सकते हैं. केंद्र सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है और किसानों को 50 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. इसका मतलब किसान आधा पैसा सरकार से प्राप्त कर सकते हैं और बाकी खुद खर्च करेंगे. इससे कम जमीन वाले छोटे किसान भी उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगा सकते हैं.

पॉलीहाउस खेती की सबसे बड़ी खूबी यह है कि किसान ऑफ-सीजन यानी मौसम से पहले ही फसल तैयार कर सकते हैं. जब बाजार में सब्जियों की कमी होती है, किसान जल्दी अपनी फसल बेचकर अच्छे दाम पा सकते हैं. टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां जल्दी तैयार हो जाती हैं. इससे किसान जल्दी बाजार में पहुंचते हैं और मुनाफा बढ़ जाता है. ऑफ-सीजन फसल की वजह से किसान की फसल कीट और रोगों से भी सुरक्षित रहती है, जिससे नुकसान का खतरा कम होता है.

पॉलीहाउस तकनीक क्या है?

पॉलीहाउस एक ढांचा है, जो प्लास्टिक शीट  से ढका रहता है. इसमें किसान तापमान, नमी और रोशनी को अपनी जरूरत के अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं. बाहर चाहे तेज धूप हो, बारिश हो या ठंड, अंदर की फसल पूरी तरह सुरक्षित रहती है. इससे सब्जियां, फूल और अन्य पौधे जल्दी और अच्छे तरीके से बढ़ते हैं. सामान्य खेत की तुलना में फसल ज्यादा सुरक्षित, जल्दी तैयार और लाभदायक होती है. पॉलीहाउस तकनीक  दो मुख्य तरीके से अपनाई जाती है.

  1. प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस (Natural Ventilated Polyhouse)
  2. पर्यावरण नियंत्रित पॉलीहाउस (Environment Controlled Polyhouse)

प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस

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पॉलीहाउस खेती- सुरक्षित माहौल, बेहतर पैदावार

प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस खेती  का एक सरल और किफायती तरीका माना जाता है. इसमें हवा के आने-जाने के लिए जालीदार खिड़कियां और वेंटिलेशन सिस्टम लगे होते हैं, जिससे अंदर का वातावरण संतुलित रहता है. इस प्रकार के पॉलीहाउस में ड्रिप सिंचाई, फॉगर और सामान्य तापमान नियंत्रण की सुविधा होती है. हालांकि यह बाहर के मौसम को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर पाता, लेकिन फसल को तेज धूप, हल्की ठंड और बारिश से काफी हद तक सुरक्षित रखता है. कम लागत होने की वजह से छोटे और मध्यम किसान इसे आसानी से अपना सकते हैं और सब्जी व फूलों की खेती  से बेहतर उत्पादन ले सकते हैं

पर्यावरण नियंत्रित पॉलीहाउस

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पॉलीहाउस खेती- मौसम से बेपरवाह खेती

पर्यावरण नियंत्रित पॉलीहाउस आधुनिक खेती  का उन्नत रूप माना जाता है. इसमें तापमान, नमी और सूर्य की रोशनी को पूरी तरह नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसल का विकास बेहतर होता है और उत्पादन अवधि बढ़ जाती है. इस तकनीक से किसान ऑफ-सीजन में भी सब्जियां  और फूल उगा सकते हैं. निर्माण के आधार पर पॉलीहाउस तीन तरह के होते हैं. कम तकनीक वाला पॉलीहाउस बांस और स्थानीय सामग्री से बनाया जाता है, जिस पर यूवी-स्टेबल कोटिंग होती है. मॉडरेट टेक पॉलीहाउस गैल्वनाइज्ड आयरन पाइप से बनता है और मौसम का बेहतर सामना करता है. वहीं हाई-टेक पॉलीहाउस  पूरी तरह स्वचालित होता है, जहां हर प्रक्रिया मशीनों से नियंत्रित होती है.

तापमान और वातावरण पर नियंत्रण

पॉलीहाउस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान तापमान को नियंत्रित कर सकते हैं. गर्मियों में अंदर का तापमान कम किया जा सकता है और सर्दियों में बढ़ाया जा सकता है. यह सुविधा उन फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्हें सामान्य मौसम में उगाना मुश्किल होता है. नमी का स्तर भी नियंत्रित किया जा सकता है. सही नमी से पौधों की जड़ें मजबूत रहती हैं और पत्तियां स्वस्थ दिखती हैं. बाहर चाहे तेज धूप हो, बारिश हो या पाला पड़े, पॉलीहाउस में फसल सुरक्षित रहती है. यह सुनिश्चित करता है कि फसल जल्दी बढ़े और उत्पादन अधिक हो. पॉलीहाउस में वेंटिलेशन, फॉगर और ड्रिप सिस्टम  लगे होते हैं. वेंटिलेशन से गर्म हवा बाहर निकलती है और ठंडी हवा अंदर आती है. फॉगर से पौधों को पानी की हल्की बौछार मिलती है, जिससे नमी संतुलित रहती है. ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के अनुसार पानी मिलता है.

जमीन और पॉलीहाउस का आकार

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पॉलीहाउस का आकार

सरकार के अनुसार किसान 500 से 4000 वर्ग मीटर तक का पॉलीहाउस बना सकते हैं. छोटे किसान पहले छोटे पॉलीहाउस से शुरू कर सकते हैं और अनुभव के साथ उसका आकार बढ़ा सकते हैं. जितना बड़ा पॉलीहाउस, उतनी ज्यादा फसल और उतना ज्यादा मुनाफा. छोटे खेत वाले किसान  भी पॉलीहाउस अपनाकर उच्च उत्पादन कर सकते हैं. इससे कम जमीन वाले किसान भी फसल से अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. जमीन का सही चयन और पॉलीहाउस का सही आकार बहुत जरूरी है. इसके लिए किसान को यह देखना चाहिए कि पॉलीहाउस की दिशा सूर्य के अनुसार हो, ताकि पौधों को पर्याप्त रोशनी मिल सके.

ऑफ-सीजन फसल का फायदा

पॉलीहाउस में किसान ऑफ-सीजन यानी मौसम से पहले फसल तैयार कर सकते हैं. इससे किसान बाजार में जल्दी पहुंचते हैं और अच्छे दाम पा सकते हैं. टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां जल्दी तैयार हो जाती हैं. ऑफ-सीजन फसल की वजह से किसान की फसल कीट और रोगों से सुरक्षित रहती है. किसान अपनी फसल जल्दी बाजार में बेचकर लाभ कमा सकते हैं. इसके अलावा, ऑफ-सीजन उत्पादन से बाजार में सब्जियों की कमी होने पर उनकी कीमत ज्यादा होती है. इससे किसान को अधिक मुनाफा  मिलता है और सालभर आय बनी रहती है.

पॉलीहाउस खेती के फायदे

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पॉलीहाउस खेती

पॉलीहाउस खेती किसानों के लिए कई समस्याओं  का समाधान बन चुकी है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि मौसम का असर फसल पर नहीं पड़ता. तेज धूप, बारिश या पाला फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता. ड्रिप सिंचाई से पानी 70 फीसदी तक बचाया जा सकता है. कीटों की समस्या कम होने से रसायनों की जरूरत भी कम होती है. पॉलीहाउस में उगाई गई फसल रंग, आकार और स्वाद में सामान्य खेती से बेहतर होती है. कम जमीन में भी उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है. किसान सीजन से पहले फसल बेचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

पॉलीहाउस की लागत और सब्सिडी

पॉलीहाउस की लागत सामान्य खेती  की तुलना में ज्यादा होती है, क्योंकि इसमें आधुनिक ढांचा और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में किसान आगर, लगभग 4000 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस बनाता है तो करीब 55 से 60 लाख रुपये तक खर्च आ सकता है. हालांकि, छोटे आकार के पॉलीहाउस पर खर्च इससे कम होता है. किसानों के लिए राहत की बात यह है कि सरकार पॉलीहाउस लगाने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है. यानी अगर किसी परियोजना की कुल लागत 60 लाख रुपये है, तो किसान को इसमें से केवल करीब 30 लाख रुपये ही अपनी जेब से लगाने पड़ते हैं. इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होता है और वे आसानी से आधुनिक खेती अपना सकते हैं.

पॉलीहाउस पर सब्सिडी कैसे मिलेगी

पॉलीहाउस खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार उद्यानिकी विभाग  के माध्यम से किसानों को बड़ी राहत दे रही है. इस योजना के तहत पॉलीहाउस लगाने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है. यह सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे बीच में किसी तरह की कटौती या परेशानी नहीं होती. सरकार का मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा किसान आधुनिक खेती  की तकनीक अपनाएं, ताकि खेती मौसम पर कम निर्भर रहे और किसानों की आमदनी बढ़ सके.

पॉलीहाउस सब्सिडी का लाभ लेना किसानों के लिए काफी आसान बनाया गया है. सबसे पहले किसान को अपने राज्य के उद्यान विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है. आवेदन जमा होने के बाद विभाग द्वारा उसकी जांच की जाती है. जांच पूरी होने पर रजिस्टर्ड एजेंसी या फर्म के जरिए पॉलीहाउस निर्माण की अनुमति दी जाती है. जब पॉलीहाउस का निर्माण पूरा हो जाता है, तब विभाग लागत का सत्यापन करता है. सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर  कर दिया जाता है. पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और इसमें किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे किसान निश्चिंत होकर योजना का लाभ उठा सकते हैं.

आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज

पॉलीहाउस सब्सिडी के लिए आवेदन करते समय कुछ जरूरी कागजात ऑनलाइन अपलोड करने होते हैं. इसमें आवेदक की फोटो और आधार कार्ड, परिवार पहचान पत्र, मेरी फसल मेरा ब्यौरा प्रमाणपत्र शामिल हैं. बैंक खाते का प्रमाण देना जरूरी है, जिसमें खाता संख्या, बैंक नाम और IFSC कोड साफ लिखा हो. इसके अलावा प्रशिक्षण प्रमाणपत्र, पॉलीहाउस की लागत और डिजाइन, मिट्टी व पानी की जांच रिपोर्ट भी मांगी जाती है. कुछ मामलों में नेमाटोड टेस्ट रिपोर्ट, जाति प्रमाणपत्र, संयुक्त खाते की एनओसी और भूमि से जुड़े दस्तावेज भी जरूरी होते हैं.

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Published: 22 Dec, 2025 | 02:43 PM
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