सफेद बैंगन से होगी अच्छी कमाई! जानें कैसे करें इसकी आधुनिक खेती

सफेद बैंगन सिर्फ देखने में अलग नहीं है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. इसमें विटामिन B, पोटैशियम, कॉपर और मैग्नीशियम सामान्य बैंगन से अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. यह सब्जी पाचन को मजबूत करती है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 3 Dec, 2025 | 01:16 PM

सफेद बैंगन की खेती तेजी से भारतीय किसानों के बीच लोकप्रिय होती जा रही है. अच्छे उत्पादन, कम लागत और बाजार में ऊंची मांग के कारण यह फसल किसानों को बेहतर आमदनी दिलाने का दम रखती है. सामान्य बैंगन की तरह दिखने वाला यह सफेद रंग का बैंगन स्वाद, बनावट और पोषण सभी मामलों में अलग पहचान रखता है. यही वजह है कि इसकी मांग घरेलू बाजारों से लेकर रेस्टोरेंट और होटल तक बढ़ रही है.

सफेद बैंगन की खासियत और पौष्टिकता

सफेद बैंगन सिर्फ देखने में अलग नहीं है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. इसमें विटामिन B, पोटैशियम, कॉपर और मैग्नीशियम सामान्य बैंगन से अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. यह सब्जी पाचन को मजबूत करती है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती है. स्थानीय हर्बल चिकित्सा में इसके पौधे और पत्तियों का उपयोग कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है.

खेती की शुरुआत और नर्सरी की तैयारी

सफेद बैंगन की खेती की शुरुआत नर्सरी बनाने से होती है. इसके लिए खेत की अच्छी तरह जुताई कर भुरभुरी मिट्टी तैयार की जाती है. मिट्टी में क्यारियां बनाकर बीजों की बुवाई की जाती है. बीज डालने के बाद हल्की सिंचाई करें और क्यारी को सूखी घास यानी पुआल से ढक दें, जिससे नमी लंबे समय तक बनी रहती है. लगभग 25–30 दिन में पौधे नर्सरी से मुख्य खेत में लगाने लायक तैयार हो जाते हैं.

मुख्य खेत में रोपाई और सिंचाई की जरूरत

पौधों को मुख्य खेत में 2 से 2.5 फीट की दूरी पर रोपें ताकि वे अच्छी तरह बढ़ सकें. यदि फरवरी–मार्च में रोपाई की जाए, तो जून तक पौधों पर बैंगन लगना शुरू हो जाता है. इस फसल को हर 15–20 दिन में सिंचाई की आवश्यकता होती है.

ड्रिप इरिगेशन इस फसल के लिए सबसे प्रभावी तरीका है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और रोगों का खतरा भी कम होता है.

पौधों के गिरने से बचाने के लिए बांस या लकड़ी की छोटी छड़ियों का सहारा देना फसल को मजबूती प्रदान करता है. खेत को खरपतवार से मुक्त रखना और समय-समय पर जैविक खाद डालना उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है.

रोग और कीट प्रबंधन

सफेद बैंगन पर फल छेदक, मावा और फफूंदजनित रोगों का खतरा अधिक रहता है. इसके लिए नीम तेल का छिड़काव बेहद प्रभावी होता है. यदि रोग बढ़ जाए तो कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए जैविक या रासायनिक घोलों का उपयोग किया जा सकता है. फसल की नियमित निगरानी सबसे जरूरी है ताकि नुकसान से बचा जा सके.

बाजार में बढ़ती मांग और शानदार मुनाफा

भारतीय बाजार में सफेद बैंगन का दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक मिलता है. होटल, रेस्टोरेंट और फाइव-स्टार कैफे में इसकी खास मांग है, जिससे इसकी कीमत स्थिर रहती है.

एक एकड़ खेत में सफेद बैंगन की खेती करने पर किसान लाख रुपये से अधिक कमाई कर सकते हैं. कम लागत, तेज उत्पादन और बढ़ती मांग इस फसल को बेहद लाभदायक बनाते हैं.

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