वैसे तो बरसात का मौसम गन्ना फसल के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन अधिक बारिश के कारण फसल के बर्बाद होने का भी डर बना रहता है. जुलाई, अगस्त और सितंबर माह में गन्ना हर हफ्ता लगभग 5 इंच बढ़ता है. ऐसे में इस समय गन्ना की फसल को ज्यादा देख भाल की जरूरत होती है. बारिश के मौसम में गन्ना के फसलों पर पोक्का बोइंग और लाल बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है. अगर फसल की देखभाल नहीं हुई तो यह पूरी तरह बर्बाद हो सकती है. ऐसे में गन्ना किसान के लिए जरुरी है कि वे इस मौसम में गन्ना की फसल देखभाल अच्छी तरह से करें और पक्का बोइंग के प्रकोप से फसल को बचा कर रखें.
समय पर करें पौधों की बंधाई
बारिश के मौसम में गन्ना की फसल तेजी से बढ़ती है और इस बार भी जुलाई के मौसम में गन्ना की फसल बहुत तेज गति से विकास कर रही है. गन्ने की फसल में कल्ले निकल चुके हैं और फसल तेज गति से विकास कर रही है. ऐसे में मिट्टी चढ़ाने और पौधों की बंधाई का काम समय से कर लेना चाहिए जब मिट्टी मुलायम होती है और फसल के पौधे काफी कमजोर. मिट्टी चढ़ाने और उसकी बंधाई से पौधों को ताकत मिलती है और वे गिरते नहीं हैं बल्कि मजबूत बनते हैं.
क्या है पक्का बोइंग और लाल सड़न बीमारी
पक्का बोइंग रोग एक सफेद फफूंद से फैलने वाला रोग है. पक्का बोइंग गन्ने की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. इस रोग के कारण गन्ने की पत्तियों पर सफेद और पीले धब्बे दिखाई दने लगते हैं और वे मुरझाकर काली पड़ जाती है. इससे पत्ती का ऊपरी भाग सड़कर गिर जाता है और गन्ने का विकास रुक जाता है. इसके प्रकोप से गन्ना छोटा और बौना रह जाता है और अपने स्वभाविक लम्बाई से दूर रहता है.
लाल सड़न बीमारी से प्रभावित गन्ने की पत्तियां पीली पड़ जाती है. इससे पत्तियां सूखने लगती है और धीरे धीरे फसल बर्बाद हो जाती है. आपको बता दें कि इस बीमारी के प्रकोप से शुरु में पत्तियों का ऊपरी हिस्सा सूखाना शुरु होता है.
ऐसे मिलेगी राहत
कृषि विभाग के अनुसार पक्का बोइंग से फसल को बचाने के लिए कॉपरऑक्सिक्लोराइड का 0.2 फीसदी घोल या फिर बावस्टीन का 0.1 फीसदी घोल का छिड़काव करें. वहीं लाल सड़न बीमारी के लिए गन्ने के पौधों पर 2-3 बार 0.1 फीसदी थियोफिनेट मेथिल या काबेन्डाजिम या टिबूकोनाजोल का छिड़काव करें. इसके अलावा इन बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए किसान भाईयों को जैविक कीटनाशक का भी प्रयोग करने की सलाह दी जाती है.