चना फसल पर बढ़ा पाले का खतरा, किसानों के लिए बहुत कारगर है ये धुएं वाला उपाय.. बस करें ये काम

कड़ाके की ठंड और शीतलहर के कारण चने की फसल पर पाले का खतरा बढ़ गया है. फूल और फलियां झड़ने से किसानों की चिंता बढ़ी है. किसान धुआं, हल्की सिंचाई और नमी बनाए रखने जैसे देसी उपाय अपनाकर फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 29 Dec, 2025 | 09:30 PM
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Chickpea Crops: सर्दियों का मौसम जहां गेहूं और चना जैसी रबी फसलों के लिए जरूरी माना जाता है, वहीं जब ठंड हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो यही मौसम किसानों के लिए परेशानी बन जाता है. इन दिनों कई इलाकों में कड़ाके की ठंड और शीतलहर का असर साफ दिखाई दे रहा है. गिरता तापमान और पाले की आशंका ने खासकर चने की फसल को खतरे में डाल दिया है. इस समय चने में फूल और फलियां बनने का नाजुक दौर चल रहा है, लेकिन पाले की मार से फूल झड़ने और फलियों के सूखने की शिकायतें बढ़ रही हैं. ऐसे में किसान अपनी फसल बचाने के लिए पुराने देसी उपायों का सहारा ले रहे हैं.

चने की फसल पर क्यों भारी पड़ रही ठंड

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चने की फसल  ठंड तो सहन कर लेती है, लेकिन जब तापमान अचानक बहुत नीचे चला जाता है और पाला पड़ता है, तब सबसे ज्यादा नुकसान होता है. इस समय पौधे कमजोर हो जाते हैं, फूल गिरने लगते हैं और पहले से बनी फलियां भी ठीक से विकसित नहीं हो पातीं. अगर पाला लगातार पड़ता रहे, तो पूरी फसल पर असर पड़ सकता है. यही वजह है कि किसान रात-दिन खेतों की निगरानी कर रहे हैं और ठंड से बचाव के उपाय अपना रहे हैं.

धुएं का देसी उपाय कैसे करता है काम

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि खेतों में धुआं  करना किसानों का एक पुराना और कारगर देसी तरीका है. जब पाले की आशंका होती है, तब किसान खेत की मेड़ों पर पैरा, सूखी घास या फसल के अवशेष जलाकर धुआं करते हैं. इससे खेत के ऊपर धुएं की एक परत बन जाती है. यह परत एक तरह से ढाल का काम करती है और जमीन से निकलने वाली गर्मी को ऊपर जाने से रोकती है. नतीजा यह होता है कि खेत के आसपास का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है और पाले का सीधा असर फसल पर नहीं पड़ता.

धुएं के साथ ये उपाय भी हैं जरूरी

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, सिर्फ धुआं करना ही काफी नहीं होता. इसके साथ कुछ और सावधानियां भी जरूरी हैं. जैसे रात के समय हल्की सिंचाई करना, ताकि खेत में नमी बनी रहे. नमी होने से जमीन  ज्यादा ठंडी नहीं होती और पाले का असर कम पड़ता है. इसके अलावा मौसम की जानकारी पर नजर रखना भी बेहद जरूरी है. अगर मौसम विभाग पाले की चेतावनी दे, तो पहले से ही खेत में इंतजाम कर लेने चाहिए.

थोड़ी समझदारी से बच सकता है बड़ा नुकसान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर किसान समय रहते देसी उपाय अपना लें, तो चने की फसल को पाले से काफी हद तक बचाया जा सकता है. धुआं करना, हल्की सिंचाई, खेत में नमी बनाए रखना और रात में सतर्क रहना-ये छोटे-छोटे उपाय बड़े नुकसान से बचा सकते हैं. सर्दी का यह दौर कुछ ही दिनों का होता है, लेकिन इसी समय की लापरवाही पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है. इसलिए किसानों के लिए जरूरी है कि ठंड के इस मौसम में फसल  की खास देखभाल करें और पाले से बचाव के देसी तरीकों को अपनाएं.

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Published: 29 Dec, 2025 | 09:30 PM

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