स्प्रेइंग, कीमत और सरकारी नियमों की पूरी जानकारी, जानें कृषि ड्रोन किसानों के लिए क्यों बन रहा गेमचेंजर!

Agri Drone Rules: कृषि ड्रोन मॉडर्न फार्मिंग की एक नई तकनीक है, जिससे कम समय में फसलों पर सटीक स्प्रेइंग संभव हो पाती है. इस आर्टिकल में हम आपको कृषि ड्रोन की स्प्रेइंग प्रोसेस, कृषि ड्रोन की कीमत, फीचर्स और भारत में लागू ड्रोन नियम की पूरी डिटेल्स बताएंगे.

Isha Gupta
नोएडा | Published: 29 Dec, 2025 | 07:32 PM
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Agri Drone: भारतीय कृषि तेजी से मॉडर्न तकनीकों की ओर बढ़ रही है और कृषि ड्रोन (Agri Drone) इस बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरे हैं. पहले जहां किसानों को फसलों पर कीटनाशक या उर्वरक छिड़कने में कई घंटे या दिन लग जाते थे, वहीं अब ड्रोन की मदद से यह काम कुछ ही मिनटों में पूरा हो रहा है. ड्रोन न सिर्फ समय और मेहनत बचाते हैं, बल्कि पानी, दवा और लागत की भी बड़ी बचत करते हैं.

आज सरकार भी ड्रोन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही है और इसके लिए सब्सिडी, ट्रेनिंग और नियमों की स्पष्ट गाइडलाइन जारी की गई है. ऐसे में किसानों और एग्री-स्टार्टअप्स के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि कृषि ड्रोन की कीमत कितनी होती है, ड्रोन में कौन-कौन से फीचर्स होते हैं और ड्रोन के नियम क्या कहते हैं.

कृषि ड्रोन क्या है?

कृषि ड्रोन एक ऐसा अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) होता है, जिसे खासतौर पर खेती के कामों के लिए डिजाइन किया जाता है. इसका उपयोग फसलों पर स्प्रे करने, खेतों की निगरानी, फसल स्वास्थ्य जांच, मैपिंग और डेटा कलेक्शन के लिए किया जाता है. ये ड्रोन GPS, कैमरा, सेंसर और ऑटो-फ्लाइट सिस्टम से लैस होते हैं, जिससे खेत के हर हिस्से में एकसमान स्प्रे संभव हो पाता है.

कृषि ड्रोन के प्रमुख फीचर्स

आधुनिक कृषि ड्रोन कई एडवांस फीचर्स के साथ आते हैं, जो इन्हें पारंपरिक स्प्रे मशीनों से कहीं ज्यादा प्रभावी बनाते हैं.

  1. ऑटोमैटिक स्प्रे सिस्टम: ड्रोन में प्री-प्रोग्राम्ड रूट सेट किया जा सकता है, जिससे यह अपने-आप तय ऊंचाई और स्पीड पर उड़ते हुए स्प्रे करता है. इससे दवा की बर्बादी कम होती है.
  2. GPS और मैपिंग टेक्नोलॉजी: GPS सिस्टम की मदद से ड्रोन खेत की सटीक मैपिंग करता है और केवल उसी हिस्से पर स्प्रे करता है जहां जरूरत होती है.
  3. हाई कैपेसिटी टैंक: ज्यादातर एग्री ड्रोन में 10 लीटर से लेकर 30 लीटर तक का स्प्रे टैंक होता है, जिससे एक बार में बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सकता है.
  4. स्मार्ट बैटरी और फास्ट चार्जिंग: लिथियम-आयन बैटरियों के कारण ड्रोन 10–20 मिनट तक लगातार उड़ान भर सकता है और कुछ ही समय में दोबारा चार्ज हो जाता है.
  5. मल्टी-नोजल सिस्टम: ड्रोन में कई नोजल लगे होते हैं, जो फाइन स्प्रे करते हैं और पत्तियों के निचले हिस्से तक दवा पहुंचाते हैं.

    Agri Drone

    कृषि ड्रोन के फीचर्स (Photo Credit: Canva)

कृषि ड्रोन से स्प्रेइंग कैसे होती है?

ड्रोन स्प्रेइंग का प्रोसेस काफ आसान और असरदार होता है.

  • सबसे पहले खेत की मैपिंग की जाती है.
  • स्प्रे रूट और ऊंचाई सेट की जाती है.
  • टैंक में कीटनाशक या तरल खाद भरी जाती है.
  • ड्रोन ऑटोमेटिक या मैन्युअल मोड में उड़ान भरता है.
  • समान मात्रा में पूरे खेत पर स्प्रे हो जाता है.

ड्रोन प्रति एकड़ मात्र 7–10 मिनट में स्प्रे कर सकता है, जबकि पारंपरिक तरीकों में यही काम 1–2 घंटे में होता है.

Agri Drone Price: कृषि ड्रोन की कीमत कितनी होती है?

भारत में Agri Drone Price (कृषि ड्रोन की कीमत) ड्रोन की क्षमता, ब्रांड, फीचर्स और स्प्रे टैंक के साइज पर निर्भर करती है.

कृषि ड्रोन की अनुमानित कीमत

  • एंट्री लेवल ड्रोन: ₹5 लाख – ₹7 लाख
  • मिड रेंज ड्रोन: ₹7 लाख – ₹10 लाख
  • हाई-एंड प्रोफेशनल ड्रोन: ₹10 लाख – ₹15 लाख या उससे अधिक

कीमत को प्रभावित करने वाले फैक्टर

कृषि ड्रोन की कीमत कई बातों पर निर्भर करती है. सबसे पहले स्प्रे टैंक की क्षमता कीमत को प्रभावित करती है, क्योंकि जितना बड़ा टैंक होगा, ड्रोन उतनी ही ज्यादा दवा एक बार में स्प्रे कर पाएगा और उसकी लागत भी बढ़ेगी. इसी तरह बैटरी और फ्लाइट टाइम भी अहम फैक्टर हैं, लंबे समय तक उड़ने वाले ड्रोन में बेहतर बैटरी लगती है, जिससे कीमत ज्यादा होती है.

ड्रोन में कितना ऑटोमेशन लेवल है, यानी वह पूरी तरह ऑटोमैटिक है या मैन्युअल कंट्रोल पर चलता है, यह भी कीमत तय करता है. इसके अलावा सर्विस और वारंटी की सुविधा वाले ड्रोन थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन लंबे समय में सुरक्षित रहते हैं. वहीं मेड इन इंडिया ड्रोन आमतौर पर सस्ते और सर्विस में आसान होते हैं, जबकि इंपोर्टेड ड्रोन की कीमत ज्यादा होती है और उनके पार्ट्स भी महंगे पड़ सकते हैं.

सरकारी सब्सिडी के बाद किसानों के लिए ड्रोन की वास्तविक लागत काफी कम हो जाती है.

कृषि ड्रोन पर सरकारी सब्सिडी

भारत सरकार कृषि ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाओं के तहत सब्सिडी दे रही है.

  1. किसान समूह (FPO/SHG) को 40–50% तक सब्सिडी
  2. कृषि विश्वविद्यालय और संस्थानों को 100% तक सहायता
  3. कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए विशेष अनुदान

इससे छोटे और सीमांत किसान भी ड्रोन सर्विस के जरिए इसका लाभ उठा सकते हैं.

Agricultural Drone

कृषि ड्रोन की कीमत (Photo Credit: Canva)

Drone Rules: कृषि ड्रोन से जुड़े सरकारी नियम

भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए DGCA (Directorate General of Civil Aviation) द्वारा तय नियमों का पालन करना अनिवार्य है.

  1. ड्रोन रजिस्ट्रेशन: हर कृषि ड्रोन को Digital Sky Platform पर रजिस्टर करना जरूरी है.
  2. रिमोट पायलट सर्टिफिकेट: ड्रोन उड़ाने वाले व्यक्ति के पास DGCA से मान्यता प्राप्त ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट होना चाहिए.
  3. नो-फ्लाई जोन नियम: सैन्य क्षेत्र और संवेदनशील इलाकों के आसपास ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होती.
  4. ऊंचाई और दूरी की सीमा: ड्रोन तय ऊंचाई और विजुअल लाइन ऑफ साइट के अंदर ही उड़ाया जा सकता है.
  5. स्प्रे से जुड़े नियम: केवल सरकार द्वारा अनुमोदित कीटनाशकों का ही ड्रोन से छिड़काव किया जा सकता है.

इन ड्रोन नियम का पालन न करने पर जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

कृषि ड्रोन के फायदे

कृषि ड्रोन किसानों के लिए कई बड़े फायदे लेकर आए हैं.

  • समय और मेहनत की बचत
  • दवा और पानी की कम खपत
  • मजदूरी लागत में कमी
  • फसल को कम नुकसान
  • बड़े खेतों में भी समान स्प्रे
  • स्वास्थ्य जोखिम में कमी

कृषि ड्रोन की सीमाएं

हालांकि ड्रोन तकनीक बहुत फायदेमंद है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं.

  • शुरुआती लागत अधिक
  • तकनीकी प्रशिक्षण की जरूरत
  • खराब मौसम में उड़ान संभव नहीं
  • छोटे किसानों के लिए खरीदना मुश्किल

हालांकि ड्रोन सर्विस मॉडल इन समस्याओं को काफी हद तक कम कर रहा है.

Agriculture Drone Rules India

कृषि ड्रोन पर सरकारी सब्सिडी (Photo Credit: Canva)

क्या कृषि ड्रोन भविष्य की खेती हैं?

बदलते समय के साथ खेती में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है और कृषि ड्रोन इस बदलाव का अहम हिस्सा बन चुके हैं. आने वाले वर्षों में ड्रोन की कीमत कम होने, बैटरी क्षमता बढ़ने और नियमों के सरल होने से इसका इस्तेमाल और तेजी से बढ़ेगा.

कृषि ड्रोन भारतीय खेती के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक साबित हो रहे हैं. सही जानकारी, सरकारी सब्सिडी और ड्रोन से जुड़े सरकारी नियम का पालन करके किसान इससे अधिक उत्पादन और कम लागत में खेती कर सकते हैं. अगर आप आधुनिक और स्मार्ट खेती की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं, तो कृषि ड्रोन एक बेहतरीन विकल्प है.

किसानों के लिए क्या है सबसे सही कदम?

कृषि ड्रोन को अपनाने से पहले किसानों के लिए जरूरी है कि वे इसे सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि लंबे समय का निवेश समझें. ड्रोन खरीदने से पहले अपने खेत के आकार, फसल के प्रकार और स्प्रे की जरूरत का सही आकलन करना चाहिए. अगर सीधे खरीदना संभव न हो, तो ड्रोन सर्विस या कस्टम हायरिंग सेंटर का विकल्प बेहतर साबित हो सकता है. साथ ही, ड्रोन नियम और सरकारी दिशा-निर्देशों की पूरी जानकारी रखना बेहद जरूरी है, ताकि किसी तरह की कानूनी परेशानी न हो. सही ट्रेनिंग, सही कीटनाशकों का उपयोग और सरकारी सब्सिडी का लाभ लेकर किसान कृषि ड्रोन को अपनी खेती की ताकत बना सकते हैं और भविष्य की स्मार्ट खेती की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकते हैं.

ड्रोन अपनाने से पहले ये गलती न करें

कृषि ड्रोन जितने फायदेमंद हैं, उतनी ही जिम्मेदारी इनके इस्तेमाल में भी जरूरी है. बिना ट्रेनिंग या बिना रजिस्ट्रेशन के ड्रोन उड़ाना न सिर्फ फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि कानूनी कार्रवाई का कारण भी बन सकता है. कई किसान सिर्फ कृषि ड्रोन की कीमत को देखकर फैसला कर लेते हैं, जबकि कृषि ड्रोन के नियम, मेंटेनेंस लागत और ऑपरेटिंग स्किल्स को नजरअंदाज कर देते हैं. इसलिए ड्रोन अपनाने से पहले प्रमाणित ट्रेनिंग लेना, स्थानीय कृषि विभाग से जानकारी लेना और नियमों के अनुसार ही स्प्रे करना बेहद जरूरी है. सही जानकारी और सतर्कता के साथ कृषि ड्रोन खेती के लिए वरदान साबित हो सकते हैं, लेकिन लापरवाही इन्हें नुकसान का कारण भी बना सकती है.

सही कृषि ड्रोन डीलर से संपर्क करें

अगर आप खेती के लिए ड्रोन लेने या ड्रोन से स्प्रे करवाने का सोच रहे हैं, तो किसी भी अनजान या बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति से ड्रोन न खरीदें. हमेशा सरकार से मंजूर (DGCA Approved) कृषि ड्रोन बेचने वाले सही और भरोसेमंद डीलर से ही बात करें. अच्छा डीलर आपको ड्रोन की कीमत, सरकारी सब्सिडी, ड्रोन उड़ाने के नियम और इस्तेमाल का तरीका साफ-साफ समझा देता है. इससे बाद में न तो पैसा खराब होता है और न ही किसी तरह की परेशानी आती है.

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Published: 29 Dec, 2025 | 07:32 PM

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