आज के समय में किसान खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए ऐसी फसलों का चुनाव करते हैं जिनकी खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो सके. ऐसा ही कुछ राजस्थान में सांचोर के किसान कर रहे हैं. दरअसल,राजस्थान में सांचोर के किसान सहजन की खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ हैं. किसानों ने बताया की सहजन ऐसी फसल है जिसे एक बार लगाने पर करीब 15 से 18 साल तक पैदावार मिलती है. वहीं, इसकी पत्तियां और फलियों के साथ बीज की भी काफी मांग रहती है. इसी मांग को देखते हुए साचौर के लाछीवाड गोलिया के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर व्यवसायिक खेती सहजन को तवज्जो दे रहे हैं.
सालाना 40 से 50 किग्रा होती है पैदावार
गांव के किसान कुपाराम चौधरी ने बताया कि सहजन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु लगभग 25-30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है. वहीं, सहजन का प्रत्येक पौधा एक वर्ष में तक़रीबन 40-50 किलो तक पैदावार देता है. वहीं, सहजन के उन्नत किस्म के पौधे वर्ष में दो बार फल देते है जिनकी तुड़ाई फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर के मद्य होती हैं.
ड्रिप सिस्टम से कर रहे पानी की बचत
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार राजस्थान के सांचोर में किसान ने बताया कि सहजन की खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिलता है. वहीं इसकी खेती में मेहनत भी कम लगती है. उन्होंने यह भी बताया कि सहजन के साथ एवाकाडो और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए वे खेतों में ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे है, जिससे पानी की भी बचत हो रही है. दरअसल, राजस्थान में पानी की कमी के कारण कई किसान इन फसलों की खेती नहीं कर पाते हैं.

किसान कर रहे ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल
विदेशों में भी है मांग
आपको बता दें की भारत के अलावा फिलीपिंस, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया ऐसे देश हैं, जहां पर सहजन को विशेष रूप से उगाया जाता है. वहीं, सहजन की मांग विदेशों में भी अधिक रहती है. लेकिन अब साचौर के लाछीवाड गोलिया में किसान इस फसल को लगा रहे हैं और इससे उन्हें काफी फायदा मिल रहा है.
यूपी में लगेंगे 55 लाख पौधे
उत्तर प्रदेश में 1 जुलाई से शुरू होने वाले वन महोत्सव में सहजन की खेती को बढ़ावा देने के लिए 55 लाख सहजन के पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार सहजन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी फायदे और उसके गुणों को देखते हुए इस पहल की शुरुआत की है.