बिहार के मखाना को देश-दुनिया तक पहुंचाने में जुटे युवा, Makhana स्टार्टअप से जुड़े 250 किसान

बिहार के मखाना की मांग तेजी से देशभर में बढ़ रही है. युवा भी मखाना कारोबार में उतर रहे हैं. दो युवाओं ने मखाना स्टार्टअप शुरू किया है और उनसे 250 किसान जुड़ गए हैं. मखाना के अलग-अलग फ्लेवर वाले व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं.

नोएडा | Published: 25 Jun, 2025 | 04:20 PM

बिहार के मिथिला का मखाना अब सिर्फ एक पारंपरिक उत्पाद नहीं रह गया है, बल्कि यह देश और दुनिया के बाजारों में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. बिहार में बड़े पैमाने पर की जाने वाली मखाने की खेती से प्रदेश में रोजगार के नए अवसर भी खुले हैं. दरअसल, दरभंगा जिले के दो युवा शिशिर शुभम और सैयद फ़राज़ ने मखाना उत्पादन और उसके प्रोसेसिंग में नवाचार कर न केवल एक सफल स्टार्टअप खड़ा किया है, बल्कि लाखों की नौकरी छोड़कर अपनी माटी में ही रोजगार और पहचान बनाने का अनूठा उदाहरण भी पेश किया है.

मखाना के फ्लेवर्स की विदेशों में मांग

मखाना प्रोसेसिंग कंपनी के सह-संस्थापक शिशिर शुभम ने बताया कि उनकी सोच यह थी कि बिहार का राजस्व बिहार में ही रहे. इसी उद्देश्य से उन्होंने मखाना के अलग-अलग फ्लेवर वाले व्यंजन तैयार किए, जिन्हें देश के साथ-साथ विदेशों में भी भेजा जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि कई फ्लेवर की विदेशी बाजारों में भारी मांग है. वर्तमान में लगभग दो दर्जन कुशल कारीगर इस काम से जुड़े हैं और उन्हें स्थायी रोजगार मिल रहा है.

Makhana Startup

मखाना उत्पादों की पैकेजिंग

250 किसानों को मिला रोजगार

कंपनी के सह-संस्थापक और इंजीनियर सैयद फ़राज़ ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME) का लाभ लेकर मखाना जैसे पारंपरिक उत्पाद को आधुनिक तकनीक और नवाचार से जोड़ा. इसके तहत 250 से अधिक किसान इस स्टार्टअप से जुड़कर लाभ उठा रहे हैं और उन्हें एक सुनिश्चित बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

कंपनी में होता है केमिकल फ्री उत्पादन

समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार कंपनी के क्वालिटी एंड इंस्पेक्शन कंट्रोलर प्रिंस चौरसिया ने बताया कि मखाना से बने उत्पादों में किसी भी प्रकार के केमिकल्स का प्रयोग नहीं किया जाता. सभी व्यंजन प्राकृतिक सामानों से बनाए जाते हैं, जिससे ग्राहकों को शुद्ध और स्वास्थ्य से भरपूर उत्पाद मिल सके. PMFME योजना, आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है.

इसका उद्देश्य फूड प्रोसेसिंग से जुड़े जमीनी स्तर के उद्यमियों को जरूरी संसाधन, जानकारी और सहयोग देकर उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि करना है. मिथिला के इन युवाओं ने इस योजना का लाभ उठाकर न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार और प्रेरणा दी है.