Punjab News: पंजाब में बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए राहत की खबर है. धान की खरीद का काम धीरे-धीरे तेज हो रहा है, हालांकि मंडियों में फसल की आवक अभी भी कम है. आढ़तियों ने उठान और भुगतान की प्रक्रिया को लेकर संतोष जताया है. पटियाला स्थित खन्ना अनाज मंडी आढ़तिया संघ के अध्यक्ष हरबंस सिंह रोशा ने कहा है कि अब तक लगभग 7 लाख बोरे धान पहुंचे, जिनमें से 6 लाख से ज्यादा बोरे उठाए जा चुके हैं और किसानों को भुगतान भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि अब तक 5,14,036.61 मीट्रिक टन धान मंडियों में आया, जिसमें से 4,81,967.08 मीट्रिक टन की खरीद एजेंसियों ने कर ली है. अब तक किसानों को करीब 923 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि 743 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है.
रोशा ने कहा कि सरकार का धान खरीद 15 सितंबर से शुरू करने का फैसला सही रहा. आमतौर पर खरीद 10 अक्टूबर से शुरू होती है और 15 अक्टूबर से रफ्तार पकड़ती है, जिससे कटाई में देरी और घबराहट में फसल काटने के कारण खेतों में आग लगने की घटनाएं होती हैं. इस साल समय से शुरू हुई खरीद से किसानों और आढ़तियों दोनों को फायदा हुआ है. हालांकि, पटियाला की अनाज मंडी की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. पटियाला आढ़तिया संघ के अध्यक्ष पवन कुमार सिंगला ने कहा कि भारी बारिश की चेतावनी से किसान घबरा गए और उन्होंने जल्दी में फसल काट ली.
धान सूखने के बाद मंडी लाएं
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में जो धान मंडी में आया है, उसमें नमी काफी ज्यादा है. ऐसे गीले धान को बोरियों में भरना मुश्किल होता है, इसलिए हम पहले उसे सुखाने की कोशिश कर रहे हैं. जिन किसानों के पास स्टोरेज की सुविधा है, उनसे हमने अनुरोध किया है कि वे धान को पूरी तरह सूखने के बाद ही मंडी में लाएं.
राइस शेलर मालिकों के खिलाफ किसानों की शिकायतें
उन्होंने यह भी कहा कि नमी वाला धान लाने से उठान एजेंसियों के साथ विवाद हो सकता है, हालांकि कुल मिलाकर उठान और भुगतान की प्रक्रिया ठीक चल रही है. वहीं, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि गुरदासपुर के धारीवाल कस्बे के किसानों ने राइस शेलर मालिकों के खिलाफ शिकायतें की हैं. किसानों का आरोप है कि जिन धानों में नमी 17 फीसदी से ज्यादा है, उनके लिए शेलर मालिक प्रति क्विंटल 179 से 300 रुपये तक की कटौती मांग रहे हैं. राजेवाल ने कहा कि हमने यह मुद्दा गुरदासपुर जिला प्रशासन के सामने उठाया है. ये किसान पहले ही बाढ़ की वजह से भारी नुकसान झेल रहे हैं, ऐसे समय में उनका शोषण नहीं होना चाहिए.