अब भारत- पाकिस्तान के बीच होगा ‘बासमती वॉर’…पंजाब, हरियाणा का होगा अहम रोल

भारत और पाकिस्तान के बीच 'बासमती वॉर' शुरू होने जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु जल संधि रद्द होने से पाकिस्तान की खेती प्रभावित होगी, जिससे भारत को निर्यात बढ़ाने का बड़ा मौका मिल सकता है.

नोएडा | Updated On: 7 Jun, 2025 | 08:10 AM

भारत और पाकिस्तान अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ‘ऑपरेशन बासमती’ के लिए कमर कस रहे हैं. आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच खाड़ी देशों में बासमती चावल के निर्यात को लेकर कड़ा मुकाबला होने वाला है. एक्सपर्ट्स इस स्थिति को ‘बासमती वॉर’ कह रहे हैं. साथ ही एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि भारत के पास ग्लोबल मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का अच्छा मौका है.

भारत में हरियाणा और पंजाब बासमती चावल की खेती और निर्यात में अहम भूमिका निभाते हैं. ये दोनों राज्य मिलकर देश के कुल बासमती चावल निर्यात का करीब 80 फीसदी हिस्सा देते हैं, जिसमें अकेले हरियाणा का योगदान लगभग 40 फीसदी है. इस निर्यात का बड़ा हिस्सा जीटी रोड बेल्ट से आता है, जहां करीब 100 निर्यातक हर साल 18,000 से 20,000 करोड़ रुपये की विदेशी कमाई करते हैं.

पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का मानना है कि हालिया तनाव के बाद भारत के पास ग्लोबल मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का अच्छा मौका है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान, खाड़ी देशों जैसे ईरान, इराक, ओमान, बहरीन, यूएई और कुवैत के साथ-साथ यूरोप और अमेरिका को भी बासमती चावल के प्रमुख सप्लायर हैं. लेकिन इंडस वॉटर ट्रीटी रद्द होने के बाद पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि बासमती और नॉन-बासमती जैसे ज्यादा पानी मांगने वाली फसलें अब बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं.

नीतियों में अचानक बदलाव से बचना जरूरी

वहीं भारत के हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों को फायदा मिलेगा, क्योंकि अब पानी की उपलब्धता घरेलू खेती के लिए बढ़ेगी. विजय सेतिया ने यह भी कहा कि घरेलू नीतियों में अचानक बदलाव से बचना जरूरी है. पिछले साल मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) लगाने से भारतीय निर्यातकों को झटका लगा और इसका फायदा पाकिस्तान को मिल गया. जबकि भारत की बासमती क्वालिटी बेहतर है, इसलिए हमें अपनी ग्लोबल बढ़त को बचाकर रखना चाहिए.

चावल निर्यातकों के लिए बनेंगे नए मौके

भारत की आक्रामक डिप्लोमैटिक रणनीति भी अहम भूमिका निभा रही है. सांसदों के डेलीगेशन अब कई देशों का दौरा कर रहे हैं और पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को उजागर कर रहे हैं. सेतिया का मानना है कि भारत का ये सख्त रुख पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है, जिससे भारतीय चावल निर्यातकों के लिए नए मौके बन सकते हैं.

अब तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल की

AIREA के अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा कि भारत ने चावल निर्यात में अब तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 60 लाख टन से ज्यादा बासमती चावल एक्सपोर्ट किया जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. 2023–24 में हमने 52 लाख टन का आंकड़ा छू लिया था. इस साल हम पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का बासमती निर्यात सिर्फ करीब 10 लाख टन तक ही सीमित है.

Published: 7 Jun, 2025 | 08:09 AM