MP: मूंग तुलाई को लेकर किसानों का फूटा गुस्सा, सिलवानी में स्टेट हाईवे-44 पर किया चक्काजाम

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सिलवानी में किसानों ने मूंग तुलाई में हो रही देरी और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ स्टेट हाईवे-44 पर चक्काजाम कर दिया. विरोध के बाद प्रशासन ने बातचीत कर जल्द समाधान का आश्वासन दिया.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 18 Jul, 2025 | 04:14 PM

मध्य प्रदेश की मंडियों में फैली बदइंतजामी अब किसानों के सब्र का बांध तोड़ रही है. सरकार भले ही किसानों के हितैषी होने के दावे करे, लेकिन जमीन पर सच कुछ और ही है. रायसेन जिले के सिलवानी तहसील में शुक्रवार को यही नाराजगी हाईवे पर फूट पड़ी. मूंग की तुलाई में लगातार हो रही देरी और अधिकारियों की बेरुखी से गुस्साए किसानों ने स्टेट हाईवे-44 पर चक्काजाम कर दिया. सैकड़ों की संख्या में जुटे किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के चलते यातायात घंटों ठप रहा और प्रशासन में हड़कंप मच गया.

दरअसल, सिलवानी के पटेल बेयर हाउस पर कई दिनों से मूंग की तुलाई अटकी पड़ी है. किसान अपनी मेहनत की उपज लेकर दिन-रात लाइन में खड़े हैं, लेकिन न तो मशीनें चल रहीं, न कोई सुनवाई हो रही. इससे परेशान होकर किसानों ने सड़क पर उतरने का फैसला लिया.

सैकड़ों क्विंटल मूंग सड़ रही है, लेकिन कोई देखने वाला नहीं

किसानों ने आरोप लगाया कि मूंग की तुलाई  को लेकर जिम्मेदार अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं. इतना ही नहीं किसानों का कहना है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक प्रशासन जागता नहीं है. इस दौरान किसानों ने साफ कहा कि यह मामला सिर्फ तुलाई का नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और मेहनताना से जुड़ा है. लंबे समय से लाइन में खड़े रहने के बावजूद भी उनका नंबर नहीं आ रहा, जिससे उनका समय और मेहनत दोनों बर्बाद हो रहे हैं.

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सिलवानी में मूंग तुलाई की अव्यवस्था के खिलाफ किसानों का हाईवे पर विरोध प्रदर्शन

प्रशासन ने की बातचीत कर किसानों ने रखा अपना पक्ष

हाईवे पर चक्काजाम  होते ही प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची और किसानों को समझाने की कोशिश की. अधिकारियों ने किसानों से बातचीत कर उन्हें जल्द समाधान का आश्वासन दिया. प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि बेयर हाउस पर तुलाई की व्यवस्था जल्द सामान्य की जाएगी और किसानों की मूंग की तुलाई प्राथमिकता पर होगी.

परेशान किसानों ने मंडियों की अव्यवस्था को किया उजागर

गांव से शहर तक किसान अपनी मेहनत की सैकड़ों क्विंटल मूंग लेकर मंडियों और खरीदी केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं. कई किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में फसल लादकर कई दिनों से खुले आसमान के नीचे खड़े हैं. हालत ये है कि चिलचिलाती धूप में न तो छांव का इंतजाम है, न ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था. थक-हार चुके किसानों का कहना है कि प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है. अब उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही तुलाई की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा.

दावे बड़े-बड़े, हकीकत में मंडियों की हालत बेहाल

मध्य प्रदेश में भले ही किसान हितैषी योजनाओं के बड़े-बड़े दावे किए जाते हों, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही तस्वीर दिखाती है. हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू होते ही अव्यवस्था सामने आ जाती है. कहीं तुलाई की मशीनें खराब पड़ी होती हैं, कहीं कर्मचारी गायब मिलते हैं तो कहीं बारदाने की कमी से किसानों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. नतीजा ये होता है कि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जबकि सरकार कागजो में सब कुछ ठीक दिखाती है.

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