प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार दौरे पर मोतिहारी पहुंचे, जहां उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने बिहार की खास पहचान बन चुके उत्पादों मखाना, मगही पान, जर्दालु आम, कतरनी चावल और मरचा मिर्च का खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि ये नाम अब सिर्फ गांवों में नहीं, विदेशों तक पहुंच बना चुके हैं.
लेकिन इस दौरे में जो सबसे बड़ी घोषणा चर्चा में रही, वो थी बिहार में “मखाना बोर्ड” का गठन, जिसका मकसद मखाना किसानों की आय को बढ़ाना और इस पारंपरिक फसल को वैश्विक मंच पर सुपरफूड के तौर पर स्थापित करना है.
बिहार का मखाना -परंपरा से सुपरफूड तक का सफर
इस दौरान प्रधानमंभी मोदी ने कहा कि बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र, खासकर दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा जैसे जिलों में मखाना की खेती वर्षों से की जाती रही है. पहले इसे पारंपरिक आस्था और घरेलू उपयोग तक सीमित माना जाता था, लेकिन आज ये वैज्ञानिक प्रमाणित सुपरफूड बन चुका है. “बिहार का मखाना अब दुनिया में भारत की नई पहचान बन रहा है. इसे GI टैग भी मिल चुका है, जिससे अब इसकी ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट में मदद मिल रही है.”
कैसे बदल रही है बिहार के किसानों की किस्मत?
मखाना बोर्ड बनने से किसानों को कई बड़े लाभ मिलेंगे:
उन्नत बीज और वैज्ञानिक खेती
मखाना खेती में अब पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का इस्तेमाल होगा, जिससे उत्पादन में इजाफा होगा.
प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं तक पहुंच
बोर्ड किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दिलाने का काम करेगा.
बाजार से सीधा जुड़ाव
अब किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहेंगे. वे अपने उत्पाद को सीधे प्रोसेस कर, पैकेजिंग कर खुद बाजार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेच सकेंगे.
निर्यात के नए अवसर
बोर्ड का एक अहम उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना भी है. इससे किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पाद बेचकर डॉलर में कमाई कर सकेंगे.
मखाने की मौजूदा कीमतें और कमाई की संभावना
इस समय भारत में कच्चे मखाने की कीमत 1400 से 1600 रुपये प्रति किलो है, वहीं प्रोसेस्ड, फ्लेवर वाले और पैकेज्ड मखाने की कीमतें में 50 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है.
वहीं अगर किसान खुद प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं या एफपीओ (FPO) के जरिए ब्रांडिंग और पैकेजिंग करें, तो उन्हें तीन से पांच गुना तक मुनाफा हो सकता है.
बजट 2025 में मखाना बोर्ड की घोषणा
साल की शुरूआत में, 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किया जाएगा. इसका मकसद होगा मखाने के उत्पादन, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना, किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता देना, मखाना क्षेत्र को संगठित करना ताकि इसमें निवेश और स्टार्टअप को बढ़ावा मिले. हालांकि किसान अब भी मखाना बोर्ड के शुरू होने का इंतेजार कर रहे हैं.
100 करोड़ रुपये का निवेश
केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में मखाना उद्योग को नया जीवन देने के लिए एक “मखाना बोर्ड” के गठन का ऐलान किया है. इसके लिए शुरुआती चरण में 100 करोड़ रपये का निवेश किया जा रहा है. इस बोर्ड का उद्देश्य मखाना उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और अंतरराष्ट्रीय निर्यात को संगठित तरीके से बढ़ावा देना है.
मखाने की कीमतों में 50 फीसदी तक की उछाल
बजट की घोषणा के बाद, मखाने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है. इसी साल जनवरी में जहां मखाना 950 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वहीं अब यह 1600 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं, पहला बजट में विशेष फोकस और मखाना बोर्ड की खबर और दूसरा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग.
दुनिया में क्यों पसंद किया जा रहा है मखाना?
आज मखाना सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिका, जापान, यूरोप और चीन जैसे देशों में भी इसे एक हेल्दी स्नैक के रूप में खूब पसंद किया जा रहा है. इसके पीछे कई अहम वजहें हैं, मखाना लो कैलोरी और हाई फाइबर वाला होता है, जिससे यह वजन घटाने वालों के लिए बेहतरीन विकल्प बन जाता है. यह डायबिटीज और दिल के मरीजों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है.
इसके अलावा मखाना एंटी-एजिंग और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है. साथ ही यह ग्लूटेन फ्री और पूरी तरह वेगन डाइट वालों के लिए भी उपयुक्त है. यही कारण है कि मखाना अब इंटरनेशनल सुपरफूड की लिस्ट में शामिल हो चुका है.
स्टार्टअप और युवा उद्यमियों के लिए मौका
मखाना बोर्ड का गठन केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए भी बड़ा अवसर लेकर आया है. अब बिहार के युवा मखाने को लेकर ऑनलाइन ब्रांड शुरू कर सकते हैं. इसके साथ ही फ्लेवर इनोवेशन कर सकते हैं (मसाला मखाना, चॉकलेट मखाना, पनीर मखाना आदि) या ई-कॉमर्स और क्विक डिलीवरी एप्स पर बेच सकते हैं
मखाना अब केवल तालाब की फसल नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “हम मखाने को बिहार की आर्थिक प्रगति का सूत्र बना रहे हैं. यह सिर्फ तालाब की फसल नहीं, अब हर किसान की कमाई का मजबूत जरिया बनेगा.” जैसे 2023-24 मोटे अनाज (श्री अन्न) के साल रहे, वैसे ही 2025 को मखाने का साल माना जा रहा है.