मक्का की फसल पर ‘फॉल आर्मीवॉर्म’ का खतरा, किसान ऐसे करें रोग की पहचान.. जानें इलाज के उपाय

हिमाचल प्रदेश में मक्का की फसल पर नई बीमारी लग गई है. वैज्ञानिकों ने कीटों के हमले से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कीट का लार्वा सबसे ज्यादा फसल को नुकसान करता है.

नोएडा | Updated On: 18 Jul, 2025 | 03:27 PM

Spodoptera Frugiperda: हिमाचल प्रदेश में मक्का की फसल पर ‘फॉल आर्मीवॉर्म’ का खतरा बढ़ता जा रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. उन्हें डर है कि अगर समय पर इलाज नहीं किया गया, तो फसल को नुकसान हो सकता है. इससे पैदावार में गिरावट आएगी. हालांकि, फॉल आर्मीवॉर्म के बढ़ते खतरे से बचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), चंबा ने जिले के किसानों के लिए एक एडाइजरी जारी की है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर समय रहते कीट को कंट्रोल नहीं किया गया, तो पत्तों को खाकर भारी नुकसान पहुंचा सकता है. KVK ने कहा है कि इसके हमले से मक्के के पत्तों पर गोल या चौकोर छेद हो जाते हैं. साथ ही पत्तों पर अधिक मात्रा में कीट की लीद (मल) जमा हो जाती है. इससे भी पौधों को नुकसान पहुंचता है.

ऐसे करें रोग की पहचान

चंबा KVK के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि इस कीट का लार्वा सबसे ज्यादा नुकसान करता है. किसान इसकी शुरुआत को मक्का की पत्तियों पर गोल या चौकोर छेद देखकर पहचान सकते हैं. इसके अंडे भूरे-ग्रे रंग के होते हैं और उन पर बाल जैसे कवर होते हैं, जिससे इन्हें पहचानना आसान होता है. इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर एक टास्क फोर्स भी बनाई गई है, जिसमें डॉ. धर्मेंद्र कुमार (KVK चंबा), डॉ. भूपेंद्र सिंह (उप कृषि निदेशक, चंबा), डॉ. जया चौधरी (वैज्ञानिक, KVK) और कृषि विभाग के विषय विशेषज्ञ शामिल हैं. यह टीम जिले के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर किसानों को जरूरी सलाह और उपाय बता रही है.

इतनी मात्रा में करें कीटनाशक का छिड़काव

जारी की गई सलाह के अनुसार, फॉल आर्मीवॉर्म पर नियंत्रण के लिए कुछ खास कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे क्लोरांट्रानिलिप्रोल 18.5 SC (कोरेजन)  0.4 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं.  इसके अलावा स्पाइनेटोरम 11.7 SC (डेलीगेट)  0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें. इसके बाद इसका फसल के ऊपर स्प्रे करें. इससे फॉल आर्मीवॉर्म को नियंत्रित किया जा सकता है.

फसल बुवाई के समय अपनाएं ये तरीका

KVK के वैज्ञानिकों का कहना है कि 20 दिन तक की फसल के लिए प्रति एकड़ 120 लीटर घोल का छिड़काव करना चाहिए, जबकि 20 दिन से ज्यादा पुरानी फसल के लिए 200 लीटर प्रति एकड़ की जरूरत होती है. खेती से जुड़ी जरूरी सावधानियों में किसानों को सलाह दी गई है कि वे मक्का की बुवाई तय समय पर ही करें और लाइन में बुवाई (लाइन सोइंग) अपनाएं, न कि बिखेर कर (ब्रॉडकास्टिंग). इसके साथ ही खेतों की नियमित निगरानी करें और कीट के अंडों को पहचानकर हाथ से ही नष्ट करें. ये अंडे झुंड में होते हैं और उन पर छोटे बाल जैसे दिखाई देते हैं, जिससे इन्हें पहचाना जा सकता है.

 

Published: 18 Jul, 2025 | 03:19 PM