मछली के मल से पौधों को मिलते हैं पोषक तत्व, जानें इस तकनीक से खेती का तरीका

एक्वापोनिक्स तकनीक में किसान कम पानी और कम मिट्टी में भी खेती कर सकते हैं. जिससे वातावरण पर भी ज्यादा असर नहीं होता है. इस तकनीक से उपज में बढ़त होती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.

नोएडा | Updated On: 18 May, 2025 | 01:43 PM

आज देश का किसान खेती के लिए केवल पारंपरिक तरीकों पर ही निर्भर नहीं है बल्कि आधुनिक तरीकों को अपनाकर किसान कृषि क्षेत्र का और खुद का भी विकास कर रहे हैं. कृषि तकनीकों और उपकरणों के बारे में सारी जानकारी जुटाकर किसान खेती करके उत्पादन तो बेहतर करते ही हैं साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इन आधुनिक तकनीकों की मदद से किसान कम जगह, कम पानी और बिना मिट्टी के भी खेती कर सकते हैं.कुछ तकनीक ऐसी भी हैं जिनमें किसान मछल पालन की ही मदद से खेती भी कर सकते हैं. आज हम खेती की ऐसी ही एक तकनीक के बारे में बात करने वाले हैं जिसे ऐरोपोनिक्स तकनीक कहते हैं. तो चलिए जान लेते हैं कि क्या है यह तकनीक और किस तरह किसानों को इस तकनीक से फायदा होता है.

एक्वापोनिक्स तकनीक क्या है

एक्वापोनिक्स खेती करने की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मछलीपालन यानी एक्वाकल्चर और हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को मिलाकर खेती की जाती है. बता दें कि खेती की इस तकनीक में मछली के मल से पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं. पौधों को मिलने वाले ये पोषक तत्व पानी को शुद्ध बनाते हैं. जिसके कारण इस पूरी प्रक्रिया से पौधों के विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार होता है.

ऐसे काम करती है ये तकनीक

दरअसल, किसान जिस टैंक में मछली पालन करते हैं , उसी टैंक में मछली को डाला जाने वाला खाना खाकर मछलियां जो मल करती हैं उस मल में अमोनिया मौजूद होता है. बता दें कि टैंक में मौजूद बैक्टीरिया अमोनिया को नाइट्राइट और फिर नाइट्रेट में बदलते हैं. पौधों की वृद्धि के लिए उन्हें नाइट्रेट मिलना बेहद जरूरी होता है. नाइट्रेट की मदद से पौधों का विकास तेजी से होता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद पौधे पानी से नाइट्रेट को सोख लेते हैं. पौधों के ऐसा करने से पानी शुद्ध हो जाता है और इस पानी को वापस से मछलियों के टैंक में डाल दिया जाता है.

एक्वापोनिक्स के फायदे

एक्वापोनिक्स तकनीक में किसान कम पानी और कम मिट्टी में भी खेती कर सकते हैं. जिससे वातावरण पर भी ज्यादा असर नहीं होता है. इस तकनीक से उपज में बढ़त होती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि किसान इससे दोहरी कमाई कर सकते हैं. इस तकनीक की मदद से मछलियों और पौधों दोनों को बेच कर किसान दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके साथ ही इस तकनीक से उगाए गए सभी उत्पाद पूरी तरह से ऑर्गेनिक होते हैं.

क्या हैं नुकसान

जहां एक तरफ इस तकनीक के फायदे हैं वहीं दूसरी तरफ इस तकनीक के अपने कुछ नुकसान भी हैं. इस तकनीक से खेती करने में लगात ज्यादा आती है. साथ ही इस तकतनी से खेती करने के लिए मछलियों , पौधों और पानी के बारे में खास जानकारी होनी चाहिए. वहीं इस तकनीक से खेती की पूरी प्रक्रिया के दौरान छोटी सी लापरवाही या दुर्घटना पूरे सिस्टम को खराब कर सकती है.

Published: 18 May, 2025 | 01:43 PM