भेड़ों में दिखें ये लक्षण तो तुरंत इलाज कराएं, वरना पूरे झुंड पर आ सकता संकट

भेड़ों में कई बार गंभीर बीमारियां लग जाती हैं जो तेजी से पूरे झुंड में फैल सकती हैं. खुरपका, गलघोंटू, ब्रुसीलोसिस जैसे रोग जानलेवा हो सकते हैं. समय पर टीकाकरण और डॉक्टर की जांच से इनसे बचा जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 11 Sep, 2025 | 11:30 PM

आज के समय में खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. भेड़ पालन ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. इससे ऊन, मांस और दूध भी मिलता है. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि भेड़ें काफी नाजुक जानवर होती हैं और इन्हें बीमारियां जल्दी घेर लेती हैं. अगर समय रहते इनका इलाज नहीं किया गया तो बीमारी पूरे झुंड में फैल सकती है और भारी नुकसान हो सकता है. इसलिए भेड़ पालकों को कुछ आम रोगों की जानकारी जरूर होनी चाहिए.

खुरपका-मुंहपका (FMD)- सबसे तेजी से फैलने वाला रोग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खुरपका-मुंहपका  एक विषाणु जनित रोग है जो खुर वाले सभी जानवरों में हो सकता है. भेड़ों में यह रोग बहुत तेजी से फैलता है. इस रोग में भेड़ के मुंह, जीभ और खुरों के बीच छाले पड़ जाते हैं जिससे वह चारा और घास खाना बंद कर देती है. लार टपकना और चलने में तकलीफ इसके सामान्य लक्षण हैं. इसका इलाज है कि बीमार भेड़ को झुंड से तुरंत अलग कर दें और एफएमडी का टीका लगवाएं. इसके साथ-साथ भेड़ों के रहने की जगह को साफ और सूखा रखें.

गलघोंटू- पेट के कीड़ों से होने वाली बीमारी

यह रोग एक जीवाणु की वजह से होता है और यह भी एक भेड़ से दूसरी में फैल सकता है. गलघोंटू रोग तब होता है जब भेड़ की आंत में कीड़े हो जाते हैं जो खून चूसते हैं. इससे भेड़ दिन-ब-दिन कमजोर होने लगती है और उसकी भूख भी खत्म हो जाती है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि भेड़ों को हर साल कीड़े मारने की दवा जरूर दी जाए और चराई की जगह को साफ रखा जाए.

चर्म रोग- खुजली और ऊन खराब होने का कारण

भेड़ों में ऊन सबसे कीमती चीज होती है. लेकिन अगर उनकी त्वचा पर जुएं, पिस्सू या अन्य कीड़े लग जाएं तो वे खुजली करने लगती हैं, जिससे ऊन की गुणवत्ता खराब हो जाती है. यदि समय पर इलाज न हो तो स्किन पर घाव और फफोले तक हो सकते हैं. इससे बचाव के लिए भेड़ों को नियमित नहलाएं, उनकी खाल की समय-समय पर जांच कराएं और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से दवाएं लगवाएं.

ब्रुसीलोसिस- गर्भवती भेड़ों के लिए खतरनाक बीमारी

यह बीमारी विशेष रूप से गर्भवती मादा भेड़ों को होती है. इसके कारण चार से पांच महीने के अंदर ही गर्भपात हो जाता है और बच्चेदानी भी पक जाती है. यह एक जीवाणु जनित रोग है और इससे भेड़ की प्रजनन क्षमता भी खत्म हो सकती है. इसलिए यदि किसी मादा में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत पशु डॉक्टर से संपर्क करें और सभी मादा भेड़ों की समय-समय पर जांच करवाएं.

रेबीज- जानलेवा रोग, एक बार हुआ तो इलाज नहीं

रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो पागल कुत्ते या नेवले के काटने से होती है. यह रोग भेड़ों के लिए बेहद खतरनाक होता है और एक बार हो जाने पर इलाज संभव नहीं होता. इस बीमारी में भेड़ अचानक हिंसक हो जाती है, मुंह से झाग निकलता है और धीरे-धीरे उसकी मृत्यु हो जाती है. इससे बचाव का सबसे सही तरीका है कि पहले से रेबीज का टीका लगवाया जाए और अगर काटने की घटना हो तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क किया जाए.

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Published: 11 Sep, 2025 | 11:30 PM

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