सेहत का खजाना है पगौड़ा का फूल, शरीर की सूजन और दर्द से मिलती है राहत

पगौड़ा का फूल लाल, गुलाबी या सफेद रंग के गुच्छेदार फूलों वाला पौधा है जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस फूल को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. ये फूल आपके घर की खूबसूरती को तो चार चांद लगाता ही है, साथ ही औषधीय गुण भी देता है.

नोएडा | Published: 17 Sep, 2025 | 09:25 AM

बाजार में ऐसे बहुत से फूल हैं जिनकी मांग घर की सजावट के लिए की जाती है और किसान भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. लेकिन कुछ फूल ऐसे भी हैं जो घर की सजावट के साथ-साथ आपको सेहत से जुड़े कई तरह के फायदे देते हैं. औषधीय गुणों से भरपूर फूलों में से एक है पगौड़ा फूल, जिसे अंग्रेजी में हेलेनिया स्पेशिओसा (Helenia Speciosa) कहा जाता है. ये फूल आपके घर की खूबसूरती को तो चार चांद लगाता ही है, साथ ही औषधीय गुण भी देता है. बता दें कि, इसके इस्तेमाल से शरीर के दर्द और सूजन से राहत मिलती है.

क्या है पगौड़ा का फूल

पगौड़ा का फूल लाल, गुलाबी या सफेद रंग के गुच्छेदार फूलों वाला पौधा है जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस फूल को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. कुछ इलाकों में इसे गुलेनची, मिल्कवर्ट, पगोडा ट्री (Pagoda Tree), या क्लेरोडेंड्रम इनफॉर्चुनेटम (Clerodendrum inerme / Clerodendrum paniculatum) भी कहा जाता है. बता दें कि, ये पौधा आमतौर पर झाड़ी के रूप में उगता है. इस पौधे की खास बात है कि ये देखने में बौद्ध मंदिरों के आकार का होता है, यही कारण है कि इसे पगौड़ा का फूल कहा जाता है.

औषधीय गुणों से लैस है ये पौधा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पगौड़ा का फूल और इसके पत्ते दोनों ही कई तरह की बीमारियों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. इसके इस्तेमाल से शरीर में आने वाली सूजन और दर्द से राहत मिलती है. साथ ही स्किन से जुड़ी समस्याएं जैसे खुजली, फोड़े-फुंसी आदि के इलाज में भी मदद मिलती है. अगर किसी को सिर दर्द, बुखार या सर्दी जुकाम है तो इसके फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा इसके इस्तेमाल से शरीर का पाचन तंत्र तो सुधरता ही है साथ ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

इस तरह कर सकते हैं इस्तेमाल

पगौड़ा का फूल इस्तेमाल करने के कई तरीके हो सकते हैं. आप चाहें तो इसकी पत्तियों या फूलों से रस निकालकर या फिर काढ़ा या लेप बनाकर इस्तेमाल में ला सकते हैं. बता दें कि, पारंपरिक चिकत्सा विधियों में जैसे आयुर्वेद और यूनानी में इसका इस्तेमाल सालों से होता आ रहा है. इसके पौधे की सूखी जड़ों को पीसकर चूर्ण बनाकर पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है. इसके अलावा ताजी जड़ों या तनों को उबालकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है और सूजन या दर्द वाली जगह पर पत्तियों या जड़ों का पेस्ट लगाकर आराम पाया जा सकता है.

Published: 17 Sep, 2025 | 09:25 AM