ORS ban India: देशभर में अब किसी भी कंपनी को अपने पेय या ड्रिंक उत्पाद के नाम में “ORS” (ओआरएस) शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी, जब तक कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तय किए गए असली फॉर्मूले पर आधारित न हो. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने यह बड़ा फैसला उपभोक्ताओं की सुरक्षा और बाजार में चल रही गलत प्रथाओं को रोकने के लिए लिया है.
क्यों लिया गया ये फैसला
FSSAI के मुताबिक हाल के वर्षों में कई कंपनियां अपने फ्रूट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक या फ्लेवर वाले पेय पदार्थों को “ORS” जैसा दिखाकर बाजार में बेच रही थीं. इन उत्पादों के पैकेट और विज्ञापन ऐसे बनाए जाते थे कि ग्राहक उन्हें असली ओआरएस समझ लेते थे.
लेकिन इन ड्रिंक्स में WHO के मानकों के अनुसार ग्लूकोज, सोडियम और पोटैशियम की सही मात्रा नहीं होती थी, जिससे यह डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) की स्थिति में असरदार नहीं होते थे. कई बार लोग बीमारी या दस्त में ऐसे नकली ओआरएस पीकर नुकसान भी उठा रहे थे.
अब नहीं मिलेगी “ORS” लिखने की छूट
पहले कंपनियों को यह छूट थी कि वे अपने उत्पाद पर “ORS” लिख सकती हैं, बशर्ते वे पैकिंग पर यह लिखें कि यह WHO द्वारा अनुमोदित असली ओआरएस नहीं है. लेकिन अब FSSAI ने इस अनुमति को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.
अब किसी भी तरह की चेतावनी या सफाई देने के बावजूद भी कंपनियां अपने प्रोडक्ट के नाम या पैकेजिंग में “ORS” शब्द का उपयोग नहीं कर सकेंगी.
नियम तोड़ने पर होगी सख्त कार्रवाई
FSSAI ने साफ कहा है कि जो कंपनियां इस आदेश का उल्लंघन करेंगी, उनके खिलाफ फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 की धारा 52 और 53 के तहत सख्त कार्रवाई होगी.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे बाजार में उपलब्ध सभी पेय और ड्रिंक उत्पादों की जांच करें और जिन उत्पादों में “ORS” शब्द का गलत इस्तेमाल हो रहा है, उन्हें तुरंत हटवाएं.
असली ORS क्या होता है?
असली ORS (Oral Rehydration Salts) एक जीवनरक्षक घोल है, जिसे खासकर डिहाइड्रेशन, दस्त या उल्टी जैसी स्थिति में शरीर में पानी और लवण की कमी को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
WHO फॉर्मूले के अनुसार असली ओआरएस में ग्लूकोज, सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम क्लोराइड और सोडियम साइट्रेट की निश्चित मात्रा होती है. यह डॉक्टरों की सलाह पर या मेडिकल दुकानों में प्रमाणित पैकिंग में उपलब्ध होता है.
उपभोक्ताओं के हित में ऐतिहासिक कदम
FSSAI का यह फैसला उपभोक्ता सुरक्षा के लिहाज से एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. इससे उन झूठे उत्पादों पर रोक लगेगी, जो लोगों को “स्वास्थ्यवर्धक” या “इंस्टेंट एनर्जी देने वाला” बताकर गुमराह कर रहे थे. अब बाजार में “ORS” नाम से केवल वही उत्पाद बिक सकेंगे, जो वास्तव में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और WHO मानकों पर खरे उतरते हैं.