बाढ़ के बाद दुधारू पशुओं में फैली गंभीर बीमारी, गाय-भैंस को खिलाएं इस तरह का चारा..ऐसे निकालें दूध

इस समय जानवरों में थन की सूजन (मैस्टाइटिस), टिटनस, बेबेसियोसिस और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा रहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दूध निकालने के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा गया, तो दूध में भी सैल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया मिल सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 12 Sep, 2025 | 01:19 PM

Punjab News: पंजाब में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे खेतों और गावों से उतर रहा है. इससे आम लोगों ने राहत की सांस ली है. लेकिन इसी राहत के साथ आफत ने भी दस्तक दे दी है. खास कर पशुओं में ‘थ्री-डे सिकनेस’ नाम की बीमारी काफी फैल रही है. कई दूधारू मवेशी संक्रण की चेपट में आ भी गए हैं. इसको लेकर डॉक्टरों और पशु विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. वहीं, किसानों का कहना है कि बाढ़ के बाद अगर पशुओं में संक्रमण फैलता है, तो उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है.

दरअसल, बाढ़ के चलते पंजाब में कई गांव डूब गए हैं और करीब 3.6 लाख पशु इसकी चपेट में आए हैं. सैकड़ों पालतू जानवरों की मौत भी हो चुकी है. अब जो जानवर बचे हैं, वे संक्रमित पानी और चारे के संपर्क में आने से बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (GADVASU) के कुलपति डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल ने कहा है कि बाढ़ सिर्फ घर और फसलें नहीं बहाती, बल्कि बीमारियों के कीटाणु भी पीछे छोड़ जाती है.

पशुओं को इन बीमारियों का भी खतरा

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल ने कहा है कि इस समय जानवरों में थन की सूजन (मैस्टाइटिस), टिटनस, बेबेसियोसिस और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दूध निकालने के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा गया, तो दूध में भी सैल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया मिल सकते हैं, जो इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं.

दूध पीने से पहले करें ये काम

डायरेक्टर डॉ. रविंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि इस समय दूध का पाश्चुरीकरण बिल्कुल जरूरी है. इसलिए किसानों और आम लोगों को कहा गया है कि सिर्फ उबला या पाश्चुरीकृत दूध ही पीना चाहिए. डॉ. ग्रेवाल ने कहा कि अगर दूध को साफ तरीके से नहीं संभाला गया या उसका संपर्क गंदे वातावरण से हुआ, तो वह बीमारियों का कारण बन सकता है.

‘थ्री-डे सिकनेस’ बीमारी से पशुओं को खतरा

उन्होंने किसानों को सलाह दी कि बाढ़ के बाद जो पराली है, उसे जानवरों को देने से पहले पानी, शीरा और यूरिया मिलाकर ट्रीट करें, ताकि वह सुरक्षित और पोषक बन सके. डॉ. ग्रेवाल ने यह भी कहा कि बाढ़ के बाद ‘थ्री-डे सिकनेस’ नाम की बीमारी काफी फैल रही है. यह बीमारी मच्छरों और कीड़ों के काटने से होती है. टिक (Ticks) नामक कीड़े बाबेशियोसिस बीमारी फैला सकते हैं और मक्खियां सांस की बीमारियां बढ़ा सकती हैं. इन खतरों से बचने के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने पशुओं को सूखी और ऊंची जगहों पर रखें और उनके रहने की जगह को साफ-सुथरा बनाए रखें.

Published: 12 Sep, 2025 | 01:09 PM