कॉफी की इन वैराइटी को मिल चुका है जीआई टैग, जानिए भारत की बेस्ट कॉफी कौन सी

देश में कॉफी की खेती दक्षिण भारत के राज्यों में खूब की जाती है, जहां की जलवायु और मिट्टी कॉफी उत्पादन के लिए बेस्ट माने जाते हैं. भारत सरकार ने कॉफी की पांच विशेष किस्मों को जीआई टैग मिला है.

Kisan India
नोएडा | Published: 28 Jun, 2025 | 04:10 PM

भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो बेहतरीन कॉफी उत्पादन के लिए जाने जाते हैं. दक्षिण भारत की हरी-भरी पहाड़ियों में उगाई जाने वाली भारतीय कॉफी की खुशबू और स्वाद दुनिया भर में पसंद की जाती है. खासकर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य, जहां की जलवायु और मिट्टी कॉफी की खेती के लिए एकदम उपयुक्त मानी जाती है. वहीं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने साल 2019 में कॉफी की पांच खास किस्मों को GI टैग (भौगोलिक संकेतक) दिया है. जिससे किसानों को न केवल पहचान मिलेगी, बल्कि उनकी उपज को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रीमियम दाम भी मिल सकेंगे.

कॉफी की इन किस्मों को मिल चुका जीआई टैग

  • कूर्ग अराबिका कॉफी: यह कॉफी कर्नाटक के कोडागू (कूर्ग) जिले की हरी-भरी पहाड़ियों में उगती है. इसकी महक और स्वाद की पहचान अब कानूनी रूप से सुरक्षित हो गई है.
  • वायनाड रोबस्टा कॉफी: केरल के वायनाड जिले की प्राकृतिक ताकत और तीखापन है, इसे खास बनाता है.
  • चिकमंगलूर अराबिका कॉफी: कर्नाटक के मलनाड क्षेत्र में उगने वाली यह कॉफी दक्कन के पठार की मिट्टी और मौसम का अनोखा स्वाद अपने अंदर समेटे हुए है.
  • अराकू वैली अराबिका कॉफी: विशाखापत्तनम और ओडिशा की पहाड़ियों में उगाई जाने वाली यह जैविक कॉफी है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक खाद और जैविक तरीकों से तैयार की जाती है.
  • बाबा बुदनगिरी अराबिका कॉफी: भारतीय कॉफी की जन्मस्थली मानी जाने वाली यह किस्म चिकमंगलूर जिले में हाथों से तोड़कर, पारंपरिक किण्वन विधि (Fermentation) से बनाई जाती है. इसमें चॉकलेटी स्वाद और विशेष खुशबू होती है.

सूफी संत यमन से सात कॉफी बीज चुरायें गए थे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में कॉफी की शुरुआत 17वीं सदी में मानी जाती है, जब बाबा बुदान नामक सूफी संत यमन से सात कॉफी बीज चुपके से लाकर कर्नाटक की पहाड़ियों में बोए. आज उस इलाके को बाबा बुदन गिरि हिल्स कहा जाता है, जो भारतीय कॉफी का जन्मस्थान भी माना जाता है. किसान पारंपरिक और आधुनिक तरीकों को मिलाकर कॉफी की खेती करते हैं. यहां कॉफी को आमतौर पर पेड़ों की छांव में उगाया जाता है जिससे सूरज की तेज रोशनी से बचाव होता है और मिट्टी की नमी बनी रहती है. इसके साथ ही, किसान काली मिर्च, इलायची और सुपारी जैसे फसलों को कॉफी के साथ उगाते हैं जिससे जमीन का बेहतर उपयोग होता है और अतिरिक्त आमदनी भी होती है.

70 प्रतिशत कर्नाटक से आती है कॉफी

कॉफी की फसल आमतौर पर हाथों से तोड़ी जाती है ताकि सिर्फ पके हुए फल ही चुने जाएं. इसके बाद प्रोसेसिंग की दो विधियां अपनाई जाती हैं. जिसमें वेट प्रोसेसिंग (जहां फल से बीज निकालकर धोकर सुखाया जाता है) और ड्राई प्रोसेसिंग (जहां फल सहित बीज को ही धूप में सखाया जाता है). हर विधि का स्वाद पर अपना अलग असर पड़ता है. बता दें की भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है, और 70 प्रतिशत कॉफी कर्नाटक राज्य से आती है. भारतीय कॉफी की मांग खासकर यूरोपीय देशों जैसे इटली, जर्मनी और बेल्जियम में काफी होती है.

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Published: 28 Jun, 2025 | 04:10 PM

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