लहसुन सदियों से रसोई का हिस्सा रहा है. लोग लहसुन का इस्तेमाल अचार, चटनी और मसाला बनाने में करते हैं. लहसुन के स्वाद और खुशबू के कारण इसका इस्तेमाल लगभग हर प्रकार की सब्जियों और मांस के विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है. ठंड के मौसम में लहसुन की मांग बढ़ जाती है. इसी बढ़ती मांग को देखते हुए किसान लहसुन की इन किस्मों की खेती करके बेहतर कमाई कर सकते हैं. ऐसे में अगर किसान लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो इसकी कुछ किस्में ऐसी हैं जो 150 से 250 क्विंटल तक पैदावार देती है.
लहसुन की 4 उन्नत किस्में
यमुना सफेद 4 (जी-323)
लहसुन की इस किस्म के कंद सफेद रंग के होते हैं. साथ ही इस किस्म के लहसुन आकार में बड़े होते हैं. इसकी क्लोव का रंग सफेद और कली क्रीम रंग की होती है. लहसुन की यह किस्म बुवाई के करीब 165 से 175 दिनों में तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी पैदावार 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. इसके अलावा ये किस्म निर्यात के लिहाज से भी बहुत ही अच्छी मानी जाती है.
यमुना सफेद 1 (जी-1)
यमुना सफेज 1 (जी-1) के कंद काफी ठोस होते हैं. वहीं ये किस्म बाहर से चांदी की तरह सफेद और इसकी कली क्रीम के रंग की होती है. ये किस्म बुवाई के 150 से 160 दिनों बाद पकर तैयार हो जाती है. इसके साथ ही पैदावार की बात की जाए तो इसकी पैदावार 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है.
यमुना सफेद 2 (जी-50)
लहसुन की ये किस्म बुवाई के लगभग 165 से 170 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म का कंद ठोस होता है और गूदा क्रीम रंग का होता है.बता दें कि इस किस्म की प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को करीब 130 से 140 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. इसके साथ ही लहसुन की ये किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति सहनशील है.
यमुना सफेद 3 (जी-282)
यमुना सफेद 3 (जी-282) में लहसुन की कलियां सफेद और बड़े आकार के होती हैं. इस किस्म में लहसुन की एक गांठ में 15 से 16 क्लोव पाए जाते हैं. वहीं ये किस्म बुवाई के करीब 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है. बता दें कि लहसुन की इस किस्म की प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को लगभग 175-200 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है.