देशभर में आज से शुरू हुए विकसित कृषि संकल्प अभियान के पहले दिन उत्तर प्रदेश में कृषि वैज्ञानिक खेतों में किसानों के साथ जानकारी साझा करते देखे. लखनऊ, कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, वाराणसी समेत सभी मंडलों में किसानों को खेती की उन्नत तकनीक के बारे में बताया गया. किसानों ने कहा कि वैज्ञानिकों से खेती करने का सही तरीका और अच्छे बीजों का चुनाव करने की जानकारी मिली है.
अभियान में दिखा किसानों का उत्साह
कृषि को नई दशा एवं दिशा देने हेतु कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्पित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) वाराणसी के तहत आज एक व्यापक कृषक जागरूकता कार्यक्रम का शुभारम्भ किया है. इसमें उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के 33 गांवों में 2,063 किसानों ने भाग लिया. संस्थान के 50 से अधिक वैज्ञानिकों ने प्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से किसानों के साथ तकनीकी चर्चा की. वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही और कुशीनगर जिलों में आयोजित इस अभियान में सर्वाधिक 462 किसानों ने कुशीनगर में भाग लिया. वाराणसी जिले में हरहुआ और सेवापुरी ब्लॉक के प्रतापपट्टी, एडिलपुर, करौली और दौलतिया गांवों में 160 किसानों ने कार्यक्रम में सहभागिता की.
नीलगाय समेत कई समस्याओं पर किसानों ने बात की
किसानों ने नीलगाय की समस्या, अनियमित वर्षा, जल गुणवत्ता, मृदा स्वास्थ्य, बाजार मूल्य, उच्च भूजल स्तर, शहरीकरण का दबाव और गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता जैसी प्रमुख समस्याएं साझा कीं. वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती, एकीकृत कीट प्रबंधन, नवीन किस्मों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, फसल विविधीकरण, प्रत्यक्ष बीज धान की खेती, ग्रीष्मकालीन जुताई और सरकारी योजनाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की.
किसान देवेंद्र ने बताया बीज चुनाव की जानकारी ली
जिला मिर्जापुर के गांव खड़हरा के किसान देवेंद्र पाल मौर्या ने बताया कि अनुसंधान केंद्र से वैज्ञानिक आए थे. उन्होंने बताया कि किस तरह से खेती की जाए, जिससे तेजी से ग्रोथ हो. उन्होंने बताया कि वह तोरई और लौकी की खेती कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने जो जानकारी दी है कि सब्जी के बीज को खरीदते से अच्छी क्वालिटी पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों से बात करके अच्छा लगा.

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यह पहल खेती को और बेहतर करेगी- IIVR निदेशक
वाराणसी के करौली गांव पहुंचे IIVR के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “यह अभियान किसानों की आय दोगुनी करने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. आज 2000 से अधिक किसानों के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करना अत्यंत उत्साहजनक है. हमारी जिम्मेदारी केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है. इस अभियान से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया हमारे लिए बेहद प्रेरणादायक है.” संस्थान द्वारा नियमित फॉलो-अप कार्यक्रमों और प्रदर्शन प्लॉट स्थापना की घोषणा भी की गई है.
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