Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार खुद प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसलों की खरीद कर रही है. इस कड़ी में सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि चालू खरीफ सीजन में चंबा जिले की पांगी उपमंडल से अब तक 59 किसानों से कुल 140 क्विंटल प्राकृतिक रूप से उगाई गई जौ खरीद गई है. इसके लिए किसानों को 60 प्रति किलो की दर से रेट मिला है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत हुडान के 11 किसानों से 20 क्विंटल, सुराल के 24 किसानों से 78 क्विंटल, किलाड़ के 7 किसानों से 9 क्विंटल, साच के 7 किसानों से 10 क्विंटल और सेचु पंचायत के 10 किसानों से 23 क्विंटल जौ खरीदी गई है. राज्य सरकार ने पांगी में प्राकृतिक जौ की खरीद की शुरुआत कर दी है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार लोगों को रासायनिक रहित उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसलों के लिए समर्थन मूल्य भी दे रही है. इस पहल से किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में भी सुधार हो रहा है. उन्होंने बताया कि राज्य की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और सरकार उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए नीतियां बना रही है.
राज्य भर में 28 कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे
प्रवक्ता ने कहा कि चंबा जिले के पांगी में आयोजित हिमाचल दिवस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पांगी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया, ताकि इस क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल सके. अब किसान भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चालू खरीफ सीजन में राज्य सरकार 1,473 किसानों से 2,371.71 क्विंटल मक्का खरीदने की योजना बना रही है, जिसके लिए राज्य भर में 28 कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे. साथ ही कृषि विभाग प्राकृतिक हल्दी की खरीद की तैयारी भी कर रहा है. इसके तहत 1,629 किसानों से 2,422.65 क्विंटल कच्ची हल्दी 12 कलेक्शन सेंटरों के माध्यम से खरीदी जाएगी.
19 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा
वहीं, हिमाचल प्रदेश में किसानों की धान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जा रही है. लेकिन सिरमौर जिले के कुछ खरीद केंद्रों पर किसानों से मनमाने तरीके से extra शुल्क वसूला जा रहा है, जिससे किसान नाराज हैं. सिरमौर की मंडी में किसानों ने इस मुद्दे पर हंगामा किया और अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की. किसानों का आरोप है कि उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए 19 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है.