रबी सीजन में इस फसल की करें खेती, छप्परफाड़ होगी कमाई.. मार्केट में है बहुत डिमांड

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मक्का एक शॉर्ट ड्यूरेशन फसल है. यानी ये जल्दी तैयार हो जाती है. अगर मूंग के बाद मक्का बोई जाए तो मिट्टी की उर्वरता और भी बढ़ जाती है. मक्का की खेती में आलू से कम खर्च आता है. इसलिए ये किसानों के लिए एक संतुलित और फायदेमंद विकल्प बन सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 4 Oct, 2025 | 03:49 PM

Maize Farming: अक्टूबर महीने के आगमन के साथ ही रबी सीजन की शुरुआत हो गई है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में किसानों ने रबी फसलों की बुवाई करने के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है. हालांकि, हर साल की तरह इस साल भी अधिकांश किसान गेहूं, चना, मसूर, सरसों, आलू और जौ जैसी पारंपरिक फसलों की ज्यादा खेती में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. लेकिन किसान अगर मक्का (खासकर स्वीट कॉर्न) की खेती करते हैं, तो उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा होगा.

कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, मक्का की किस्म स्वीट कॉर्न कम समय में तैयार हो जाती है. इसकी खेती में लागत भी कम आती है और मुनाफा अच्छा मिलता है. खास बात यह है कि कई राज्यों में इसकी खेती को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में किसान आलू, सरसों, चना, मसूर, गेहूं और जौ उगाने के साथ-साथ स्वीट कॉर्न की खेती में भी धीरे-धीरे दिलचस्पी ले रहे हैं. यहां के लोगों के लिए स्वीट कॉर्न एक अच्छा विकल्प बन गया है.

मूंग के बाद मक्का बोने के फायदे

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मक्का एक शॉर्ट ड्यूरेशन फसल है. यानी ये जल्दी तैयार हो जाती है. अगर मूंग के बाद मक्का बोई जाए तो मिट्टी की उर्वरता और भी बढ़ जाती है, क्योंकि मूंग की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सेशन होता है, जो खेत में ज्यादा बायोमास तैयार करता है. इस वजह से मक्का को ‘सीरियल क्वीन’ भी कहा जाता है. ऐसे  मक्का का इस्तेमाल सिर्फ आटा या चिप्स बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पोल्ट्री फीड, दलिया और कई प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स में भी काम आता है. इसकी डिमांड भारत ही नहीं, विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है.

दूसरी पारंपरिक फसलों से ज्यादा कमाई

मक्का की खेती में खर्च सरसों से थोड़ा ज्यादा लेकिन आलू से कम होता है. इसलिए ये किसानों के लिए एक संतुलित और फायदेमंद विकल्प बन सकता है. रबी सीजन में मक्का की फसल करीब चार महीने में तैयार हो जाती है. अगर किसान मक्के की स्वीट कॉर्न की किस्म लगाते हैं तो इसे दूधिया अवस्था (मिल्किंग स्टेज) में ही बेचना चाहिए. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. आजकल बाजार में एक भुट्टा 40  से 50 रुपये तक में बिकता है, जिससे ये फसल दूसरी पारंपरिक फसलों से ज्यादा कमाई दे सकती है.

स्वीट कॉर्न खाने के फायदे

स्वीट कॉर्न हेल्थ के लिए लाभकारी माना गया है. इसके छोटे-छोटे कॉर्न में प्रचूर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो शरीर के लिए काफी लाभदायक हैं. स्वीट कॉर्न का सेवन करने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है और पाचन क्रिया भी सही रहती है. इससे शरीर की सभी जरूरी प्रक्रियाओं जैसे सेल्स जेनरेशन को बढ़ावा मिलता है.

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