बछिया के जन्म के बाद तुरंत करें ये काम, जरा सी लापरवाही बन सकती है खतरा

बछिया के जन्म के बाद शुरू के दिन बहुत अहम होते हैं. सही देखभाल से उसकी सेहत अच्छी रहती है और बीमारियों से बचाव होता है.

नोएडा | Updated On: 15 Jun, 2025 | 05:03 PM

गाय या भैंस जब घर में बछिया को जन्म देती है तो किसी भी पशुपालक के लिए खुशी का मौका होता है. लेकिन इस खुशी के साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. बछिया के जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिन उसके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद नाजुक होते हैं. अगर इस समय विशेष सावधानी न बरती जाए तो उसकी जान पर भी बन सकती है. आइए जानते हैं कि जन्म के बाद किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सबसे पहले करें साफ-सफाई

एक्सपर्टों के मुताबिक जन्म के बाद बछिया के शरीर पर कफ, श्लेष्मा और गंदगी होती है. सबसे पहले उसके नाक और मुंह से इन चीजों को अच्छे से साफ करना चाहिए, ताकि सांस लेने में कोई परेशानी न हो. क्योंकि नाक-मुंह में कफ रह गया तो उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जो गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. इसके अलावा, शरीर पर लगे श्लेष्मा को भी साफ सूती कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ देना चाहिए. सफाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बछिया को ठंड न लगे.

शुरुआत में मां का पहला दूध पिलाएं

बछिया के लिए सबसे जरूरी है मां का पहला दूध यानी खीस (Colostrum). जन्म के बाद 30 मिनट से एक घंटे के भीतर उसे खीस पिलाना चाहिए. खीस में मौजूद पोषक तत्व और एंटीबॉडीज बछिया के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं और उसे शुरुआती संक्रमण से बचाते हैं. कोशिश करें कि पहले तीन दिन तक बछिया को भरपूर मात्रा में खीस मिले. इससे उसका शरीर मजबूत बनेगा और आने वाले दिनों में बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलेगी.

धीरे-धीरे करवाएं आहार की शुरुआत

जन्म के पहले हफ्ते के बाद धीरे-धीरे बछिया को दाना और हरा चारा देना शुरू करें. दाने में पोषक तत्व संतुलित होने चाहिए और हरे चारे को भी साफ-सुथरा रखें. ध्यान दें कि शुरुआत में कम मात्रा से शुरू करें और धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं. साथ ही साफ और ताजा पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था करें, ताकि बछिया को डिहाइड्रेशन न हो. यही नहीं हरे चारे में फफूंदी या सड़न बिल्कुल नहीं होनी चाहिए, वरना पेट की बीमारी हो सकती है.

सुरक्षा और बीमारियों से बचाव का रखें ख्याल

बछिया का रहने का स्थान पूरी तरह सुरक्षित और साफ-सुथरा होना चाहिए. खुले बाड़े में कुत्तों या अन्य जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है, इसलिए बाड़े को मजबूत और बंद रखें. बछिया में अगर दूध पीने में रुचि न हो, कमजोरी दिखे, सुस्ती आए या दस्त-जुकाम जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें. शुरुआत के 3 महीने बछिया की नियमित निगरानी बहुत जरूरी है.

Published: 15 Jun, 2025 | 05:03 PM