उपज के दुश्मन पाला को धूल चटाएगी आलू.. नहीं घटेगी पैदावार, सुनहरा छिलका होने से खूब होती है बिक्री और ज्यादा मिलता है दाम

आलू की खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जो होती है वो है फसल को पाला पड़ने से बचाना. क्योंकि पाला आलू की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में आलू की एक ऐसी किस्म है जो पाले में भी मजबूती से खड़ी रहती है और अच्छी पैदावार भी देती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 30 Sep, 2025 | 06:42 PM

Potato Kufri Pukhraj: रबी सीजन की शुरुआत होने के साथ ही देशभर में किसानों ने आलू की अगेती किस्मों की बुवाई शुरू कर दी है. इन किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है आलू की फसल को पाले से बचाना. जी हां, सर्दियों के मौसम में जब तापमान बहुत ज्यादा गिरने लगता है, तब पाला पड़ता है. यही पाला आलू की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. लेकिन आलू की एक किस्म ऐसी भी है जो आलू के सबसे बड़े दुश्मन पाले को भी धूल चटाती है. सुनहरे छिलके होने के कारण इस किस्म की बाजार में बहुत मांग होती है. इस किस्म का नाम है कुफरी पुखराज (Potato Kufri Pukhraj). ऐसे में जो किसान आलू की खेती से अच्छी पैदावार और कमाई लेना चाहते हैं, उनके लिए इस किस्म की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है.

कुफरी पुखराज की खासियत

कुफरी पुखराज आलू की एक उन्नत और लोकप्रिय किस्म है जो कि मैदानी इलाकों के लिए बेस्ट मानी जाती है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि ये पाला पड़ने पर भी मजबूती से खड़ी रहती है. अगर किसान फसल की अच्छे से देखभाल करें और खेती के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों (Modern Agriculture Techniques)का इस्तेमाल करें तो इसकी उपज को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि, इस किस्म के आलू के छिलके सुनहरे रंग के होते हैं जो कि उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसके अलावा कुफरी पुखराज आलू अर्ली ब्लाइट, लीफ कर्ल (Leaf Curl)जैसी बीमारियों से भी लड़ने की क्षमता रखती है.

ऐसे करें खेती की तैयारी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आलू की किस्म कुफरी पुखराज की खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय सबसे सही होता है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होनी चाहिए. बुवाई के लिए किसान इसके अच्छी क्वालिटी, रोग मुक्त और प्रमाणित बीजों का चुनाव करें. बुवाई से पहले इन बीजों को 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 2 से 3 दिन तक अंकुरण करने के बाद बुवाई करें. बता दें कि, बुवाई करते समय बीजों के बीच की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी 60 से 75 सेंटीमीटर रखें. ध्यान रहे कि बीजों को मिट्टी में 7 से 10 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं.

कटाई और पैदावार

आलू की कुफरी पुखराज किस्म बुवाई के करीब 70 से 90 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. किसानों के लिए सलाह है कि वे फसल कटाई तब करें जब पौधे की पत्तियाँ पीली होने लगें और अच्छे से सूख जाए. साथ ही बहुत जरूरी है कि कटाई के बाद किसान आलू को अच्छी तरह से सुखाकर स्टोर करें. बात करें आलू की इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से 25 से 30 क्विंटल उपज ली जा सकती है. बता दें कि, किसान इसकी प्रति हेक्टेयर उपज से किसान 30 हजार तक की शुद्ध कमाई कर सकते हैं.

इन इलाकों के लिए बेस्ट है ये किस्म

रबी सीजन (Rabi Season) में आलू की इस किस्म की खेती उन इलाकों के लिए बेस्ट है जहां तापमान ठंडा होता है. इन इलाकों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के मैदानी इलाके शामिल हैं.

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Published: 30 Sep, 2025 | 06:42 PM

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