NCRB Report: हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2023 रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत में प्राकृतिक आपदाओं, जंगली जानवरों और सर्पदंश से हुई मौतों और चोटों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि 2023 में प्राकृतिक और वन्यजीव जनित घटनाओं से लोगों की जानें बढ़ी हैं, और कई राज्य इस समस्या से गंभीर रूप से प्रभावित रहे.
रिपोर्ट के अनुसार, कुल 6,444 लोग भारत में प्राकृतिक आपदाओं और जंगली जानवरों के हमलों में मारे गए. इनमें बिजली गिरने, हीट स्ट्रोक, ठंड, सांप के काटने और जंगली जानवरों के हमले प्रमुख कारण रहे. सबसे बड़ी संख्या उत्तर भारत और पूर्वी भारत में देखने को मिली.
सांप काटने और जंगली जानवरों के हमले
सांप काटने से होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां अकेले 2,100 लोग मारे गए. बिहार में 1,800 और मध्य प्रदेश में 950 मौतें हुईं. इसके अलावा महाराष्ट्र में 700, झारखंड में 620 और पश्चिम बंगाल में 600 मौतें दर्ज की गईं. दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश में 480 और तमिलनाडु में 450 मौतें हुईं.
जंगली जानवरों के हमलों से भी कई लोग प्रभावित हुए. महाराष्ट्र में 180, ओडिशा में 200 और झारखंड में 150 मौतें हुईं, जहां हाथियों और तेंदुओं के हमले गंभीर चुनौती बनकर उभरे. विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण और वनों की कटाई के कारण वन्यजीव बस्तियों की ओर आ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है.
बिजली गिरने और हीट स्ट्रोक से मौतें
प्राकृतिक आपदाओं में सबसे ज्यादा मौतें बिजली गिरने से हुईं. बिहार में 950, उत्तर प्रदेश में 900, मध्य प्रदेश में 870 और झारखंड में 610 लोग बिजली गिरने की वजह से मारे गए. वहीं हीट स्ट्रोक से राजस्थान में 450, उत्तर प्रदेश में 420 और बिहार में 350 मौतें हुईं. विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में अचानक बदलाव और गर्मी से होने वाले तनाव से बचाव के लिए समय पर पानी पिलाना और सावधानी रखना बेहद जरूरी है.
ठंड से मौतें और सावधानी
ठंड से होने वाली मौतों में बिहार सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 410 लोग अपनी जान गंवाए. उत्तर प्रदेश में 380 और मध्य प्रदेश में 360 लोग ठंड के कारण मारे गए. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर गर्म कपड़े, हीटिंग की सुविधा और गरीब परिवारों के लिए सरकारी मदद ठंड से होने वाली मौतों को कम कर सकती है.
समाधान और सुझाव
एनसीआरबी रिपोर्ट बताती है कि प्राथमिक चिकित्सा, एंटी-वेनम दवाओं की समय पर उपलब्धता और जंगलों में सतर्कता से कई जानें बचाई जा सकती हैं. विशेषज्ञों ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन संरक्षण, शहरीकरण में नियमन और जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी है. साथ ही बिजली गिरने, हीट स्ट्रोक और ठंड जैसी प्राकृतिक घटनाओं से निपटने के लिए लोकल प्रशासन को आपदा प्रबंधन योजनाओं को सख्ती से लागू करना चाहिए.
भारत में प्राकृतिक आपदाओं और जंगली जानवरों के हमलों से होने वाली मौतें चिंता का विषय हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि समय पर सावधानी, शिक्षा और प्रशासनिक तैयारी से इन मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है.