नारियल के दाम अब नहीं करेंगे परेशान, बोर्ड की नई योजना बनेगी किसानों का सहारा

मजदूरों की कमी और कॉपरा (सूखा नारियल) प्रोसेसिंग में आई दिक्कतें भी कीमतों में उछाल का बड़ा कारण बनीं. साथ ही बाजार में सही आंकड़ों की कमी और सटोरबाजी ने स्थिति और बिगाड़ दी.

नई दिल्ली | Updated On: 9 Sep, 2025 | 01:59 PM

भारत में नारियल की खेती को हमेशा से किसानों की आय का मजबूत जरिया माना जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से नारियल और इसके उत्पादों की कीमतों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. कभी दाम आसमान छू जाते हैं तो कभी इतनी गिरावट आ जाती है कि किसान लागत भी नहीं निकाल पाते. इस संकट से बाहर निकालने के लिए नारियल विकास बोर्ड (Coconut Development Board) ने एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें किसानों को राहत देने और नारियल की खेती को स्थिरता देने के लिए कई नए कदम उठाने की बात कही गई.

क्यों बदलते रहते हैं नारियल के दाम?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, बैठक में विशेषज्ञों ने साफ किया कि नारियल की कीमतों में अस्थिरता की कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह घटती उत्पादकता है. मौसम का बदलता मिजाज, ज्यादा तापमान और बेमौसम बारिश से नारियल की फसल प्रभावित हो रही है. इसके अलावा, जड़ गलन जैसी बीमारियां और सफेद मक्खी का प्रकोप भी पैदावार कम कर रहे हैं. मजदूरों की कमी और कॉपरा (सूखा नारियल) प्रोसेसिंग में आई दिक्कतें भी कीमतों में उछाल का बड़ा कारण बनीं. साथ ही बाजार में सही आंकड़ों की कमी और सटोरबाजी ने स्थिति और बिगाड़ दी.

किसानों को मिलेगा स्थिर दाम

नारियल विकास बोर्ड ने दामों की अस्थिरता खत्म करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है. इसमें किसानों की आय को सुरक्षित करने और उपभोक्ताओं को स्थिर दाम पर नारियल उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है. इसके तहत टेंडर नारियल यानी कच्चे नारियल की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, क्योंकि इसकी मांग सालभर बनी रहती है और कीमतें भी स्थिर रहती हैं. साथ ही किसानों को उचित समर्थन मूल्य दिलाने के लिए सरकारी खरीद और बफर स्टॉक की व्यवस्था की जाएगी.

तकनीक और शोध से बढ़ेगी उत्पादकता

बैठक में रिसर्च संस्थानों की मदद से नई किस्मों और उन्नत तकनीकों को खेतों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया. विशेषज्ञों ने कहा कि नारियल जैसी बारहमासी फसल में एक बार उत्पादकता घटने पर उसे वापस लाना आसान नहीं होता. इसके लिए लगातार और लंबे समय तक बेहतर प्रबंधन करना पड़ता है. इसीलिए किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग देना बेहद जरूरी है.

कीमतों का पहले से अनुमान होगा आसान

एक और बड़ा सुझाव यह आया कि नारियल के लिए एक मजबूत प्राइस फोरकास्टिंग मॉडल तैयार किया जाए. इससे किसानों और नीति-निर्माताओं को छोटे और मध्यम समय के लिए कीमतों का अनुमान पहले से मिल सकेगा. अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो किसान सही समय पर अपनी उपज बेच सकेंगे और अचानक आई गिरावट से बच पाएंगे.

मजदूरों की कमी पर भी होगा समाधान

बैठक में यह भी सामने आया कि कॉपरा प्रोसेसिंग के काम में मजदूरों की कमी आने से नारियल तेल और कॉपरा के दाम अचानक बढ़ गए. मजदूरों ने काम की कमी के कारण उद्योग छोड़ दिया था. लेकिन अब जब नारियल की सप्लाई सुधर रही है और मजदूर वापस लौट रहे हैं, तो उम्मीद है कि दामों में स्थिरता आ जाएगी.

इस बैठक से जो रोडमैप निकला है, उसमें नारियल की उत्पादकता बढ़ाने, किसानों को स्थिर आय दिलाने, बाजार की निगरानी करने और नीतिगत सुधार लाने की ठोस योजना बनी है. अगर यह कदम सही तरीके से लागू होते हैं तो भारत का नारियल उद्योग और मजबूत होगा और किसानों को लंबे समय तक इसका सीधा फायदा मिलेगा.

Published: 9 Sep, 2025 | 01:56 PM