पूरी दुनिया के मधु से क्यों अलग है सुंदरबन का शहद, खाने से घटता है बहुत तेजी से वजन

सुंदरबन का शहद प्राकृतिक और शुद्ध है, इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल गुण होते हैं. यह पारंपरिक तरीके से इकट्ठा किया जाता है और मधुमक्खियों को नुकसान नहीं पहुंचाता. GI टैग मिलने के बाद इसकी मांग विदेशों में बढ़ी है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 7 Dec, 2025 | 01:00 PM

Sundarban Honey Production: केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. साथ ही योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है. हालांकि, इन कोशिशों से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार भी आया है. किसान शहद बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. इससे देश में शहद का उत्पादन भी बढ़ा है. लेकिन सुंदरबन के शहद की बात ही अलग है. इसकी खासियत के चलते सुंदरबन के शहद  को साल 2024 में जीआई टैग भी मिल गया. इसके चलते इसकी डिमांड विदेशों में बढ़ गई है.

दरअसल, शहद हमारे रोजमर्रा के जीवन में लंबे समय से शामिल है. इसका इस्तेमाल दवाओं के रूप में भी किया जाता है. साथ ही घर पर ही बने ब्यूटी प्रोडक्ट्स में शहद का इस्तेमाल होता है. क्योंकि शहद एक प्राकृतिक मिठास देने वाला पदार्थ है और इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्वाद और गुणवत्ता के मामले में सुंदरबन का शहद बाकी शहदों से अलग क्यों है?

सुंदरबन शहद की खासियत

जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला सुंदरबन शहद दुनिया के सभी तरह के शहदों से बिल्कुल अलग है. क्योंकि सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल है, जो भारत के पश्चिम बंगाल के दक्षिणी हिस्से में स्थित है. यहां का शहद पारंपरिक तरीके से जंगलों में बसे मधुमक्खी के छत्तों से साल में केवल एक बार (अप्रैल-जून) इकट्ठा किया जाता है. यह शहद प्राकृतिक मधुमक्खी प्रजनन क्षेत्र से आता है और इसमें कोई कीटनाशक नहीं होता, क्योंकि इसमें मानव हस्तक्षेप नहीं होता.

10,000 वर्ग किमी में फैला है जंगल

बता दें कि सुंदरबन का जंगल लगभग 10,000 वर्ग किमी में फैला है और भारत में उत्पादित लगभग 1.5 लाख टन शहद का एक बड़ा हिस्सा यहीं से आता है. सदियों से सुंदरबन के गांवों के लोग घने मैंग्रोव जंगलों में जाकर, जहां रॉयल बंगाल टाइगर रहते हैं, सबसे मीठा शहद इकट्ठा करते हैं. खास बात यह है कि सुंदरबन में कई तरह की मधुमक्खियां पाई जाती हैं, जिनमें से चकमौमछी प्रकार की मधुमक्खी  जंगल में सबसे ज्यादा छत्ते और शहद बनाती है. कहा जाता है कि इन छत्तों से मिलने वाला शहद सुंदरबन का सबसे अच्छा शहद होता है. यह शहद गहरा लाल, कच्चा और लकड़ी जैसा होता है, इसमें फूलों की खुशबू होती है और औषधीय गुणों से भरपूर होता है.

सुंदरबन शहद के फायदे

सुंदरबन शहद गहरा रंग का होता है और इसमें रैडिकल स्कैवेंजर गुण अधिक होते हैं, जो उम्र बढ़ने के असर को कम करने और कोशिकाओं की सुरक्षा में मदद करते हैं. यह गुण पॉलीफेनॉल  और फ्लेवोनॉयड्स की वजह से मिलता है. सुंदरबन क्षेत्र में शहद पारंपरिक और प्राकृतिक तरीके से इकट्ठा किया जाता है, जिससे मधुमक्खियों को कोई नुकसान नहीं होता और यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है.

वजन नियंत्रित करने में मदद करता है

सही मात्रा में सुंदरबन शहद खाने से वजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है और इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं. यह पॉलीफेनोलिक यौगिकों का अच्छा स्रोत है, जो गले में खराश, सर्दी और खांसी में राहत देते हैं. साथ ही सुंदरबन शहद पूरी तरह शुद्ध, प्राकृतिक और असली है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने, मेटाबोलिज्म सुधारने और ऊर्जा पाने का प्राकृतिक स्रोत है. एक अध्ययन (अंगिरा दास आदि) में पाया गया कि सुंदरबन के मैंग्रोव जंगलों से आए शहद में अन्य 10 प्रकार के शहद की तुलना में हाइड्रॉक्सिल रैडिकल स्कैवेंजर गतिविधि काफी बेहतर थी.

क्या होता है जीआई टैग

GI मतलब जियोग्राफिकल इंडिकेशन होता है, जो एक एक खास पहचान वाला लेबल होता है. यह किसी चीज को उसके इलाके से जोड़ता है. आसान भाषा में कहें तो ये GI टैग बताता है कि कोई प्रोडक्ट खास तौर पर किसी एक तय जगह से आता है और वही उसकी असली पहचान है. भारत में साल 1999 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट’ लागू हुआ था. इसके तहत किसी राज्य या इलाके के खास प्रोडक्ट को कानूनी मान्यता  दी जाती है. जब किसी प्रोडक्ट की पहचान और उसकी मांग देश-विदेश में बढ़ने लगती है, तो GI टैग के जरिए उसे आधिकारिक दर्जा मिल जाता है. इससे उसकी असली पहचान बनी रहती है और वह नकली प्रोडक्ट्स से सुरक्षित रहता है.

खबर से जुड़े जरूरी आंकड़े

  • सुंदरबन शहद को साल 2024 में मिला जीआई टैग
  • 10,000 वर्ग किमी में फैला है सुंदरबन
  • अप्रैल-जून में हर साल किसान निकालते हैं सुंदरबन से शहद
  • सुंदरबन शहद दुनिया के सभी तरह के शहदों से बिल्कुल अलग है
  • देश में करीब 1.5 लाख टन शहद का होता है उत्पादन

 

 

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Published: 7 Dec, 2025 | 12:58 PM

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