खेती के साथ करें मधुमक्खी पालन, सरसों की फसल बढ़ेगी और शहद से होगी अच्छी कमाई

सरसों की खेती में मधुमक्खी पालन जोड़ने से फसल की उपज 15-20 फीसदी तक बढ़ती है. साथ में शुद्ध शहद भी मिलता है जिससे किसानों को दोहरा लाभ होता है. सरकार भी इस दिशा में सहयोग कर रही है. कम लागत में अधिक मुनाफा अब संभव है.

Kisan India
नोएडा | Published: 19 Sep, 2025 | 05:56 PM

आज के समय में जब खेती में लागत बढ़ रही है और मुनाफा घट रहा है, ऐसे में वैज्ञानिक तरीके और पारंपरिक ज्ञान का मेल किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी है-अगर वे अपनी खेती के साथ मधुमक्खी पालन को भी अपनाएं, तो सरसों की उपज 15-20 फीसदी तक बढ़ सकती है. यही नहीं, उन्हें शुद्ध शहद का उत्पादन भी मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी में दोगुना फायदा हो सकता है.

सरसों की फसल और मधुमक्खी- एक प्राकृतिक साझेदारी

सरसों एक परागण (pollination) आधारित फसल है. यानी इसके फूलों में फल बनने के लिए परागण की जरूरत होती है. मधुमक्खियां इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती हैं. जब मधुमक्खियां फूलों से पराग इकट्ठा करती हैं, तो वे पराग को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती हैं, जिससे फसल का परागण अच्छे से होता है. इससे पौधों में ज्यादा फलियां बनती हैं और दाने बेहतर तरीके से भरते हैं.

फसल बढ़े, शहद साथ में- मुनाफा दो गुना

मधुमक्खियों के साथ सरसों की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक ही खेत से किसान को दो उत्पाद मिलते हैं-सरसों और शुद्ध शहद. जहां एक ओर फसल की पैदावार 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, वहीं दूसरी ओर मधुमक्खियों से सालाना कई किलो शहद भी निकलता है, जिसे बाजार में अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है. इसका मतलब है कि किसान की आमदनी में दोहरा इजाफा हो सकता है.

कम लागत में ज्यादा मुनाफा, पर्यावरण भी सुरक्षित

मधुमक्खी पालन करने में बहुत ज्यादा खर्च नहीं आता. एक मधुमक्खी बॉक्स खरीदना आसान होता है और उसे खेत में रखना भी सुविधाजनक होता है. न तो इससे खेत में कोई नुकसान होता है और न ही किसी अतिरिक्त रसायन या खाद की जरूरत पड़ती है. इसके विपरीत, मधुमक्खियां खेत में जैव विविधता (biodiversity) बनाए रखती हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती हैं. यह एक प्राकृतिक तरीका है जिससे खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सकता है.

सरकार भी कर रही है सहयोग

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. किसानों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग, सब्सिडी पर बॉक्स उपलब्ध कराना और बाजार से जोड़ने जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्रों और आत्मा योजनाओं के तहत किसानों को मधुमक्खी पालन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी दी जा रही है, जिससे वे इसे अपने खेती के साथ जोड़ सकें.

आने वाला समय-जैविक खेती और मधुमक्खी पालन का मेल

आज जब पूरी दुनिया जैविक खेती और प्राकृतिक तरीकों की ओर बढ़ रही है, ऐसे में मधुमक्खी पालन एक जरूरी कदम बन गया है. इससे ना सिर्फ उत्पादन में इजाफा होता है, बल्कि यह खेती को रसायनमुक्त और अधिक टिकाऊ भी बनाता है. मधुमक्खियों की मदद से परागण बेहतर होता है, जिससे बीज की गुणवत्ता भी सुधरती है और खेत की उपज भी ज्यादा होती है.

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

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गन्ना
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धान (चावल)
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बाजरा (मिलेट्स)
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केला
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