वैज्ञानिकों ने तैयार किया प्रमाणित मोनोफ्लोरल लैवेंडर शहद, सीमांत किसानों की बढ़ेगी कमाई

शहद में पराग कणों की जांच से पता चला कि 61 फीसदी से ज्यादा पराग लैवेंडर फूल से हैं. डीएनए सीक्वेंसिंग में 100 फीसदी मिलान हुआ, जिससे यह साबित हुआ कि यह शहद पूरी तरह शुद्ध लैवेंडर शहद है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Aug, 2025 | 05:21 PM

भारत ने अपना पहला वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित मोनोफ्लोरल लैवेंडर शहद विकसित किया है, जिसे मधुमक्खी पालन और फूलों की खेती के क्षेत्र में बड़ी सफलता माना जा रहा है. यह खास शहद CSIR-IIIM (भारतीय एकीकृत औषधि संस्थान) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित फील्ड स्टेशन पर तैयार किया है. यह शहद खासतौर पर लैवेंडर फूलों से प्राप्त पराग से बनाया गया है, जिससे इसकी गुणवत्ता और शुद्धता सुनिश्चित होती है. यह एनोवेशन ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता, टिकाऊ खेती और हेल्दी फूड यानी फंक्शनल फूड को बढ़ावा देगा.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, CSIR के फ्लोरिकल्चर मिशन के तहत तैयार यह शहद अब एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, बाजार के लिए पूरी तरह तैयार और निर्यात योग्य उत्पाद बन चुका है. CSIR-IIIM जम्मू के निदेशक डॉ. जबीर अहमद ने कहा कि यह शहद खासतौर पर लैवेंडर फूल से बना है, इसलिए इसे मोनोफ्लोरल शहद कहा जाता है. यह शहद पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है और भारत की जैव विविधता और वैज्ञानिक ताकत को दर्शाता है.

यह पहली बार है कि भारत में किसी शहद उत्पाद की इतनी गहराई से जांच और प्रमाणिकता की गई है. डॉ. जबीर के मुताबिक, यह शहद न सिर्फ उत्पादन का उदाहरण है, बल्कि ग्रामीण इलाकों के लिए एक टिकाऊ और विज्ञान आधारित बिजनेस मॉडल भी साबित होगा. यह कदम ग्रामीण विकास में नया मार्ग खोलने वाला है.

61 फीसदी से ज्यादा पराग लैवेंडर फूल से

शहद में पराग कणों की जांच से पता चला कि 61 फीसदी से ज्यादा पराग लैवेंडर फूल से हैं. डीएनए सीक्वेंसिंग में 100 फीसदी मिलान हुआ, जिससे यह साबित हुआ कि यह शहद पूरी तरह शुद्ध लैवेंडर शहद है. खास बात यह है कि GC-MS जांच में 27 जैव सक्रिय तत्व मिले, जिनमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं. जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती CSIR-IIIM ने CSIR एरोमा मिशन के तहत बढ़ावा दिया है और अब यह खेती पहाड़ी इलाकों में तेजी से फैल रही है.

सीमांत किसानों की आमदनी में होगी बढ़ोतरी

CSIR फ्लोरिकल्चर मिशन के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शाहिद रसील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर आधारित शहद उत्पादन मॉडल छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए बनाया गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ाने के लिए फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन और शहद से जुड़े उत्पादों पर खास प्रशिक्षण भी शुरू किया गया है. CSIR-IIIM ने एक नया जैव-उद्यम मॉडल विकसित किया है, जिसमें लैवेंडर की खेती और मधुमक्खी पालन को हाई-डेंसिटी सेब के बागानों के साथ मिलाया गया है. इसका मकसद बागवानी को ज्यादा टिकाऊ और असरदार बनाना है. लैवेंडर के खुशबूदार फूल परागण करने वाले कीटों को आकर्षित करते हैं, जिससे शहद उत्पादन बढ़ता है और सेब की फसल भी बेहतर होती है.

Published: 1 Aug, 2025 | 05:12 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%