मक्के की फसल को तेजी से खराब करता है ये कीट, समय रहते किसान जान लें बचाव के तरीके

फॉल आर्मी वर्म एक ऐसा कीट है जो शुरुआती दौर में ही बहुत खतरनाक होता है. इसका लार्वा यानी कैटरपिलर पत्तियों और पौधों के ऊपरी हिस्सों पर आक्रमण कर उन्हें नुकसान पहुंचाता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 12 Jul, 2025 | 03:24 PM

देश में किसान इस बार बड़े स्तर पर मक्के की बुवाई कर रहे हैं. कई किसानों ने बुवाई पूरी भी कर ली है. लेकिन मक्के की फसल पर बारिश के चलते कई तरह के कीटों का खतरा बढ़ जाता है. इन्हीं में से एक कीट है फॉल आर्मी वर्म, जो मक्के की फसल पर आक्रमण कर फसल को खराब कर देता है. इस कीट के आक्रमण से न केवल फसल बर्बाद होती है, बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ये कीट बहुत तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते इन कीटों की पहचान कर इनसे बचाव के उपाय करें.

इन लक्षणों से करें पहचान

फॉल आर्मी वर्म एक ऐसा कीट है जो अपने शुरुआती दौर में ही बहुत खतरनाक होता है. इसका लार्वा यानी कैटरपिलर पत्तियों और पौधों के ऊपरी हिस्सों पर आक्रमण कर उन्हें नुकसान पहुंचाता है. देखने में ये कीट हल्का हरा, हल्का गुलाबी या फिर भूरे रंग का भी होता है. इस कीट की पहचान है कि ये पत्तियों पर छेद करते हैं , जिन्हें देखकर लगता है कि किसी ने पत्तियों को कैंची से काटा हो. ये कीट आम तौर पर रात के समय एक्टिव होते हैं जिस कारण से इनकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है.

बचाव के लिए करें फसल का निरीक्षण

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मक्के की फसल को फॉल आर्मा वर्म कीट से बचान के लिए किसान कुछ देशी उपाय अपना सकते हैं. किसान बचाव के लिए अपने खेत में प्रति एकड़ फसल में करीब 4 से 12 फेरोमोन ट्रैप लगा सकते हैं. क्योंकि ये कीट रात में एक्टिव होते हैं इसलिए इनसे फसलों की सुरक्षा के लिए किसान लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं क्योंकि ये ट्रैप रात में कीटों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इसके अलावा किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे नियमित रूप से अपने खेतों का निरीक्षण करें और कीट का संक्रमण दिखने की स्थिति में बिना समय गंवाएं तुरंत फसल का बचाव शुरु करें.

कीटनाशकों का करें इस्तेमाल

मक्के की फसल को फॉल आर्मी वर्म से बचाने के लिए किसान अपनी फसल पर कीटनाशकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए किसान क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल दवाई 60 मिली प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा किसान चाहें तो प्रति लीटर पानी में स्पाइनटोरम 11.7 परसेंट एससी का 0.5 मिलीलीटर मिलाकर फसल पर इसका छिड़काव करें.

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