दूध-दही ही नहीं, सावन में भूलकर भी न खाएं ये चीजें! जानें इसके पीछे की वैज्ञानिक और धार्मिक वजहें

Sawan 2025: बारिश की फुहारों और भोलेनाथ की भक्ति से भरपूर सावन का महीना आते ही माहौल भक्तिमय हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह महीना जितना पवित्र होता है, उतना ही संवेदनशील भी? खासतौर पर सेहत के मामले में. इस मौसम में कुछ खाने-पीने की चीजें ऐसी होती हैं, जिनका सेवन करना धार्मिक दृष्टि से तो वर्जित है ही, साथ ही वैज्ञानिक रूप से भी नुकसानदेह साबित हो सकता है. अगर आप सावन में भी वही खा रहे हैं जो सालभर खाते हैं, तो यह आपकी सेहत के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.

Isha Gupta
नोएडा | Published: 12 Jul, 2025 | 01:57 PM
1 / 6सावन में बैंगन नहीं खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह भारी होता है और बारिश के मौसम में कीटाणुओं से संक्रमित हो सकता है. यह पचाने में मुश्किल होता है और पेट में गैस व अपच जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है.

सावन में बैंगन नहीं खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह भारी होता है और बारिश के मौसम में कीटाणुओं से संक्रमित हो सकता है. यह पचाने में मुश्किल होता है और पेट में गैस व अपच जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है.

2 / 6बरसात के मौसम में दही आधारित चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं. इनमें मौजूद बैक्टीरिया गर्मी और नमी के कारण तेजी से बढ़ते हैं, जिससे पेट दर्द, गैस, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

बरसात के मौसम में दही आधारित चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं. इनमें मौजूद बैक्टीरिया गर्मी और नमी के कारण तेजी से बढ़ते हैं, जिससे पेट दर्द, गैस, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

3 / 6सावन में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर रहती है. ऐसे में भारी भोजन जैसे कढ़ी, रायता या तले-भुने पदार्थ पाचन पर नकारात्मक असर डालते हैं, जिससे स्वास्थ्य खराब हो सकता है.

सावन में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर रहती है. ऐसे में भारी भोजन जैसे कढ़ी, रायता या तले-भुने पदार्थ पाचन पर नकारात्मक असर डालते हैं, जिससे स्वास्थ्य खराब हो सकता है.

4 / 6इस मौसम में चारों तरफ नमी रहती है, जिससे पत्तेदार सब्जियों में कीड़े-मकोड़े और बैक्टीरिया छिपे रहते हैं. इन्हें खाने से डायरिया, फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

इस मौसम में चारों तरफ नमी रहती है, जिससे पत्तेदार सब्जियों में कीड़े-मकोड़े और बैक्टीरिया छिपे रहते हैं. इन्हें खाने से डायरिया, फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

5 / 6सावन में जिन जानवरों से दूध प्राप्त होता है, वे गीले और कीटाणुओं से भरे चारे का सेवन करते हैं. इससे दूध की शुद्धता पर असर पड़ता है और शरीर में संक्रमण का खतरा रहता है.

सावन में जिन जानवरों से दूध प्राप्त होता है, वे गीले और कीटाणुओं से भरे चारे का सेवन करते हैं. इससे दूध की शुद्धता पर असर पड़ता है और शरीर में संक्रमण का खतरा रहता है.

6 / 6भले ही यह परंपराएं धार्मिक नजर आती हों, लेकिन इनके पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण हैं. बरसात में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इन खास फूड्स से बचना जरूरी होता है.

भले ही यह परंपराएं धार्मिक नजर आती हों, लेकिन इनके पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण हैं. बरसात में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इन खास फूड्स से बचना जरूरी होता है.

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