Mandi Bhav: MSP से कम हुआ कपास का रेट, किसानों को 2559 रुपये क्विंटल हो रहा नुकसान

पंजाब में कपास किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम दाम मिल रहा है. बाढ़ और नमी के कारण फसल की गुणवत्ता गिरी है. CCI की खरीद न होने से हालात और बिगड़े हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 26 Sep, 2025 | 02:09 PM

Punjab News: पंजाब की मंडियों में कपास का रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे गिर गया है. ऐसे में किसानों को उनकी उपच की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है. अधिकांश किसान घाटे में कपास बेचने को मजबूर हैं. कहा जा रहा है कि 80 फीसदी से ज्यादा किसानों ने MSP से काफी कम भाव में अपनी फसल बेची है.  हालांकि, कपास का तय MSP 7,710 प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को मार्केट में भाव केवल 5,151 क्विंटल ही मिल रहा है. ऐसे में किसानों का कहना है कि अगर सरकार को कपास उत्पादकों के हित में कदम उठाने चाहिए, नहीं तो अन्नादता धीरे धीरे इसकी खेती से दूरी बना लेंगे. क्योंकि किसानों को 2,559 रुपये क्विंटल तक नुकसान हो रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कपास के भाव में गिरावट आने से फाजिल्का जिला के अबोहर स्थित धारमपुरा गांव के छोटे किसान काफी परेशान हैं. उन्हें डर था कि मंडियों में कपास की आवक  बढ़ते ही इसके दाम गिर जाएंगे. इसलिए उन्होंने जल्दी ही फसल काटकर मंडी में बेच दी. लेकिन उन्हें कपास का दाम MSP 7,710 रुपये प्रति क्विंटल की जगह सिर्फ 5,151 रुपये प्रति क्विंटल मिला. ऐसे में गांव के किसानों का कहना है कि उन्हें इस बार कपास की खेती  में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि बहुत किसानों ने लीज पर जमीन लेकर खेती की थी. किसानों की माने तो उन्हें प्रति प्रति क्विंटल 2,559 रुपये का नुकसान हुआ है.

कपास की खेती छोड़ सकते हैं किसान

गांव के एक किसान ने कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहें, तो शायद अगली बार उन्हें गेहूं या धान की खेती करनी पड़ेगी. खास बात यह है कि पंजाब में कई कपास किसान अब इस फसल को छोड़ने का सोच रहे हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अब तक खरीदी गई कपास का 80 फीसदी हिस्सा MSP से कम दाम पर बेचा गया है.

इन जिलों में 6,078 क्विंटल कपास की बिक्री

फाजिल्का, बठिंडा, मानसा और मुक्तसर की मंडियों में अब तक 6,078 क्विंटल कपास बेची गई है, जिनमें से 4,867 क्विंटल की खरीद MSP से नीचे हुई. इन जिलों में कपास के रेट 4,500 से 5,900 रुपये  प्रति क्विंटल के बीच रहे. वहीं, इस बार कपास के (MSP) से कम दाम पर बेचने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अब तक सरकारी खरीद एजेंसी, कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI), ने खरीदी शुरू ही नहीं की है. अभी तक जो भी कपास मंडियों  में बिकी है, वो सिर्फ प्राइवेट व्यापारी, जिनमें जिनर्स और ट्रेडर्स शामिल हैं, द्वारा खरीदी गई है. अब तक पंजाब की मंडियों में 11,218 क्विंटल कपास पहुंच चुकी है.

1.19 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई

द ट्रिब्यून में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस साल राज्य में 1.19 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई थी, लेकिन अगस्त-सितंबर में आई बाढ़ ने करीब 12,100 हेक्टेयर फसल को नुकसान  पहुंचाया. जिन इलाकों में बाढ़ नहीं आई, वहां भी फसल में नमी बहुत ज्यादा पाई गई है. दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर से जुड़े डॉ. भगीरथ चौधरी कहा कि बाढ़ के कारण इस बार कपास की गुणवत्ता कमजोर रही और नमी की मात्रा तय सीमा 8 फीसदी से कहीं ज्यादा है. इसी वजह से प्राइवेट व्यापारी किसानों को बहुत कम दाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने CCI को पत्र लिखकर अपील की है कि वे जल्द से जल्द खरीद शुरू करें, ताकि किसानों की आर्थिक परेशानी दूर हो सके.

 

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