ये कैसी नाइंसाफी- मंडी में किसानों का केला माचिस से भी सस्ता बिक रहा पर रिटेल में कीमत 50 रुपये

Banana Mandi Price: केला किसानों को एक माचिस के जितना भाव मंडी में दिए जाने पर किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया और अपनी उपज फेंक दी. किसानों को फसलों का सही दाम नहीं मिलने के मामले ने अब सियासी रंग ले लिया है. मामला राज्यसभा तक पहुंच गया है और केंद्र से कीमतों को लेकर हस्तक्षेप की मांग की गई है.

रिजवान नूर खान
नई दिल्ली | Updated On: 2 Dec, 2025 | 11:11 AM

Banana Mandi Rate:  एक माचिस की कीमत से भी सस्ता केला का भाव मिलने पर नाराज किसानों के जोरदार प्रदर्शन ने फसलों का कम भाव मिलने का मुद्दा फिर से गरमा दिया है. केंद्र और राज्य सरकारें दावा करती हैं कि किसानों की उपज का उचित और अधिक मूल्य दिया जा रहा है. लेकिन, आंध्र प्रदेश में केला किसानों को एक किलो केला का भाव मात्र 50 पैसे दिया जा रहा है. जबकि, वही केला खुले बाजार में 15 रुपये किलो से लेकर 50 रुपये किलो की कीमत पर बिक रहा है.

आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर केला की खेती होती है और यह सीजन केला की कटाई का चल रहा है. किसान हरा केला मंडी में बिक्री के लिए ले जा रहे हैं, लेकिन उन्हें सही कीमत नहीं मिल पा रही है. मंडी में केला की कम कीमतों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए किसानों को कीमतें दिए जाने का विरोध किया है.

एक किलो केला का मंडी भाव 50 पैसे मिलने पर भड़के किसान और पूर्व सीएम

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि 1kg केला माचिस से भी सस्ता है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में एक किलो केला सिर्फ 50 पैसे में बिक रहा है, जो माचिस से भी सस्ता है. जगन मोहन रेड्डी ने राज्य में केले उगाने वाले किसानों की बुरी हालत पर राज्य सरकार की जमकर आलोचना की है. वहीं, किसानों ने अपनी उपज लेकर प्रदर्शन किया. कुछ जगहों पर किसानों ने केला से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियां सड़क पर खड़ी कर विरोध जताया.

जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में किसानों का केला माचिस से भी सस्ता, एक बिस्किट से भी सस्ता है. यह उन किसानों के लिए एक बड़ा झटका है जो लाखों रुपये और महीनों की मेहनत लगाते हैं, और बदले में उन्हें सिर्फ दर्द मिलता है. आंध्र प्रदेश में केला उगाने वाले किसानों की यही हालत है.

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केला किसानों ने कीमतों में गिरावट के विरोध में प्रदर्शन किया.

केला ही नहीं प्याज-टमाटर के भी सही दाम नहीं मिल रहे

उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ केला ही नहीं, प्याज से लेकर टमाटर तक, किसी भी फसल को सही दाम नहीं मिल रहे हैं. न तो फ़्री फसल इंश्योरेंस, न ही मुश्किलों के दौरान इनपुट सब्सिडी और न ही खेती में वादा किया गया सपोर्ट किसानों को दिया जा रहा है. सब कुछ मजाक साबित हुआ है.

जगन मोहन रेड्डी ने दावा किया कि उनके YSRCP कार्यकाल के दौरान केले के दाम औसतन 25,000 रुपये प्रति टन पर बनाए रखे गए थे और किसानों को नुकसान न हो यह पक्का करने के लिए राज्य से नई दिल्ली के लिए स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम किया गया था. उस कमिटमेंट ने हजारों परिवारों को बचाया और किसानों को अपनी फसल मजबूरी में बेचने से बचाने के लिए पूरे राज्य में कोल्ड स्टोरेज बनाए गए.

उन्होंने कहा कि आज चंद्रबाबू ने किसानों को उनकी किस्मत पर छोड़ दिया है और चुपचाप खेती को बर्बाद होते देख रहे हैं. अगर आज केला खाने की कीमत 0.50 रुपये है, तो उसे उगाने वाले हाथों की क्या कीमत है? YSRCP प्रमुख ने केला के किसानों और पार्टी नेताओं के विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें भी साझा की हैं.

राज्य सभा में उठा केला किसानों की बदहाली का मुद्दा

इस बीच YSRCP के राज्यसभा सदस्य पिल्ली सुभाष चंद्र बोस ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से तुरंत दखल देने और रायलसीमा में केले के किसानों को राहत देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मार्केट की खराबी हजारों छोटे और मामूली किसानों की रोजी-रोटी खत्म कर रही है. उन्होंने केंद्र से किसानों को बर्बादी से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की.

22 हजार रुपये प्रति टन से घटकर केला भाव 8 हजार रुपये पर आया

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए उन्होंने आंध्र प्रदेश में केला की कीमतों में खतरनाक गिरावट पर रोशनी डाली, जिससे किसान गहरे संकट में हैं. उन्होंने कहा कि हाल के सीजन में रिकॉर्ड खेती और ज्यादा पैदावार के बावजूद, केला की मंडी कीमतों में अचानक आई गिरावट से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है.

आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े केला उत्पादक इलाके पुलिवेंदुला में कीमतें एक महीने के अंदर 22,000 रुपये प्रति टन से गिरकर 8,000 रुपये प्रति टन हो गईं, जो 60 फीसदी की गिरावट को दिखाता है. कई किसानों को पके फल फेंकने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि वे अपनी फसल नहीं बेच पाए.

पिल्ली सुभाष चंद्र बोस ने 2025 खरीफ सीजन के दौरान गंभीर सूखे और अनियमित बारिश की ओर इशारा करते हुए कहा कि कडप्पा, कुरनूल और अनंतपुर जैसे जिलों में खेती बहुत ज्यादा गिरकर सामान्य लेवल का सिर्फ 19-35 परसेंट रह गई है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति ने उन किसानों को तबाह कर दिया है जिन्होंने पक्की इनकम की उम्मीद में लाखों रुपये इन्वेस्ट किए थे.

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केला से भरी ट्रॉलियां सड़क पर खड़ी कर किसानों ने जाम लगाकर विरोध जताया.

दिल्ली एनसीआर में केले का थोक भाव

दिल्ली और गाजियाबाद की थोक फल मंडियों में केला का औसत मूल्य 16 से 18 रुपये प्रति किलो है. यानी 1800 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दिल्ली एनसीआर में थोक केले का है. वहीं, अगर रिटेल मार्केट में उपलब्ध हरे केले का औसत मूल्य देखें तो 15 रुपये प्रति किलो से 50 रुपये प्रति किलो तक है. ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर केले की कीमत और भी ज्यादा है.

किसानों के लिए क्यों घट गई केला की कीमत

कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि अच्छे मॉनसून के चलते आंध्र प्रदेश समेत अन्य हिस्सों में इस बार केला का उत्पादन बढ़िया हुआ है. अब जब फसल की कटाई शुरू हो चुकी है तो मंडियों में केला की आवक बढ़ी है, जिससे ट्रेडर्स मनमाना भाव देने का दबाव बना रहें. जबकि, इसके उलट दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सप्लाई नहीं बढ़ाए जाने के चलते राज्य में कीमतें गिरी हुई हैं. हालांकि, अगले कुछ सप्ताह में थोक कीमतों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई गई है. वहीं, एक्सपर्ट कहते हैं कि राज्य सरकार को केला किसानों को नुकसान से बचाने के लिए कीमतों पर फैसला लेना चाहिए.

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Published: 2 Dec, 2025 | 10:57 AM

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