जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कर रही हैं, उनके लिए पपीता किसी नैचुरल सप्लीमेंट से कम नहीं है. यह दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है, जिससे नवजात शिशु को बेहतर पोषण मिल पाता है. हालांकि, गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करने से बचना चाहिए.
अगर आपके पीरियड्स अनियमित हैं या आपको हर महीने तेज दर्द झेलना पड़ता है, तो पपीता आपकी डाइट में जरूर शामिल होना चाहिए. इसमें मौजूद विशेष एंजाइम्स हार्मोन को बैलेंस करने और पीरियड्स को नियमित करने में मदद करते हैं. इसके अलावा यह नेचुरल पेन रिलीवर की तरह भी काम करता है.
पपीता केवल शरीर के अंदर नहीं, बल्कि त्वचा पर भी असर दिखाता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन सेल्स को रिपेयर करते हैं और पिग्मेंटेशन, मुहांसे और झाइयों जैसी समस्याओं को कम करते हैं. पपीते का फेस पैक लगाने से स्किन साफ, स्मूद और हेल्दी बनी रहती है.
महिलाओं में यूटीआई यानी यूरिन इंफेक्शन की समस्या आम है. पपीता एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है, जो बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकता है और संक्रमण से बचाव करता है. अगर आप बार-बार होने वाले इंफेक्शन से परेशान हैं, तो पपीते का सेवन जरूर करें.
पपीते में कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है. यह लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता, जिससे बार-बार खाने की आदत में कंट्रोल आता है. वेट लॉस करने वाली महिलाओं के लिए यह एक टेस्टी और हेल्दी विकल्प है.
30 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई हॉर्मोनल बदलाव आते हैं. पपीता इस ट्रांजिशन पीरियड में शरीर को नैचुरल पोषण देता है, इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचाता है.