Copra MSP: देश के नारियल किसानों के लिए सरकार ने एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने 2026 के सीजन के लिए कोप्रा (सूखा नारियल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP में जोरदार बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. इस फैसले का सीधा फायदा उन लाखों किसानों को मिलेगा, जिनकी आजीविका नारियल की खेती और उससे जुड़े कामों पर निर्भर है. बढ़ती लागत, बाजार में दामों की अनिश्चितता और मौसम के जोखिमों के बीच यह फैसला किसानों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह देखा जा रहा है.
कैबिनेट की बैठक में लिया गया अहम फैसला
Money control की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया. सरकार का साफ कहना है कि MSP बढ़ाने का मकसद सिर्फ किसानों को बेहतर दाम देना ही नहीं, बल्कि उन्हें कोप्रा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना भी है. घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नारियल और उससे बने उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, ऐसे में किसानों को भरोसे की जरूरत थी कि उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा.
नए MSP से किसानों को क्या मिलेगा
2026 सीजन के लिए फेयर एवरेज क्वालिटी (FAQ) मिलिंग कोप्रा का MSP 12,027 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. वहीं, बॉल कोप्रा के लिए यह मूल्य 12,500 रुपये प्रति क्विंटल होगा. पिछले सीजन की तुलना में मिलिंग कोप्रा के MSP में 445 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोप्रा में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर किसानों की जेब में ज्यादा पैसा पहुंचाने वाली है.
लागत से 50 फीसदी ज्यादा MSP
सरकार ने यह भी साफ किया है कि MSP तय करते समय उत्पादन लागत को आधार बनाया गया है. 2026 सीजन में मिलिंग कोप्रा की उत्पादन लागत करीब 5,250 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोप्रा की लागत लगभग 5,500 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है. इन लागतों से करीब 50 प्रतिशत अधिक MSP तय किया गया है, ताकि किसानों को मुनाफा मिल सके. यह वही नीति है, जिसकी घोषणा पहले केंद्रीय बजट में की जा चुकी है.
बीते वर्षों में MSP में बड़ा उछाल
अगर पिछले एक दशक पर नजर डालें तो कोप्रा के MSP में जबरदस्त इजाफा हुआ है. 2014 के मार्केटिंग सीजन में मिलिंग कोप्रा का MSP 5,250 रुपये था, जो अब बढ़कर 12,027 रुपये हो गया है. इसी तरह बॉल कोप्रा का MSP 5,500 रुपये से बढ़कर 12,500 रुपये तक पहुंच चुका है. यानी करीब 10-12 साल में MSP दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं.
खरीद व्यवस्था भी रहेगी मजबूत
सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया है कि MSP पर खरीद की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी. नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) केंद्र सरकार की ओर से नोडल एजेंसियों के रूप में कोप्रा की खरीद करेंगी. इसके साथ ही राज्यों की एजेंसियों को भी इस काम में जोड़ा जाएगा, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी न हो. बाजार में कीमतें गिरने या ज्यादा उत्पादन होने की स्थिति में यह व्यवस्था किसानों के लिए संजीवनी साबित होगी.
किन राज्यों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा
इस फैसले का सबसे ज्यादा असर दक्षिण भारत के राज्यों पर पड़ेगा. तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख कोप्रा उत्पादक राज्य हैं. इन्हीं राज्यों में सबसे ज्यादा नारियल किसान रहते हैं और कोप्रा प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. अनुमान है कि देशभर में करीब 1 से 1.2 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी किसी न किसी रूप में नारियल की खेती से जुड़ी है.
क्यों है यह फैसला खास
कोप्रा नारियल तेल, सूखा नारियल, कॉस्मेटिक्स और कई औद्योगिक उत्पादों का अहम कच्चा माल है. भारत दुनिया के बड़े कोप्रा उत्पादक देशों में शामिल है और वैश्विक उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है. ऐसे में MSP बढ़ाने का यह कदम सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है.
कुल मिलाकर, 2026 सीजन के लिए कोप्रा के MSP में की गई यह बढ़ोतरी नारियल किसानों के लिए भरोसे और स्थिरता का संदेश लेकर आई है. इससे न केवल किसानों की आय सुरक्षित होगी, बल्कि आने वाले वर्षों में कोप्रा उत्पादन को नई गति मिलने की भी पूरी उम्मीद है.