सिंदूरी: वो पौधा जिससे मिलता है सुहाग का रंग और किसानों को मुनाफा

शादीशुदा महिलाएं अपनी मांग में जो लाल सिंदूर सजाती हैं, वह इसी पौधे के बीजों से प्राप्त रंग से बनता है. यही कारण है कि इस पौधे से मिलने वाले रंग की मांग पूरे साल बनी रहती है.

नई दिल्ली | Published: 9 May, 2025 | 01:12 PM

भारत में प्रकृति की गोद से कई ऐसे पौधे मिलते हैं, जो ना केवल औषधीय होते हैं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन और परंपराओं से भी गहराई से जुड़े होते हैं. ऐसा ही एक अनोखा पौधा है सिंदूरी (Bixa orellana). इसे संस्कृत में सिंदुरपुष्पी, हिंदी में सिंदूरिया या लटकन और अंग्रेजी में Annato कहा जाता है.

असल में, भारतीय संस्कृति में सिंदूर का जो गहरा महत्व है, वह इसी पौधे से जुड़ा हुआ है. शादीशुदा महिलाएं अपनी मांग में जो लाल सिंदूर सजाती हैं, वह इसी पौधे के बीजों से प्राप्त रंग से बनता है. यही कारण है कि इस पौधे से मिलने वाले रंग की मांग पूरे साल बनी रहती है.

तो चलिए, जानते हैं कि सिंदूरी का पौधा क्या है, इसके क्या-क्या उपयोग हैं, और इसकी खेती से किस तरह किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

सिंदूरी का रंग कहां-कहां इस्तेमाल होता है?

सिंदूरी के बीजों की ऊपर की परत से जो रंग (बिक्सिन) निकलता है, उसका उपयोग खाने की चीजों जैसे मक्खन, घी, चीज, चॉकलेट और आइसक्रीम में किया जाता है. यह रंग खाने में कोई स्वाद या गंध नहीं डालता, इसलिए इसे सुरक्षित माना जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल कपड़ों और चमड़े को रंगने, दवाओं को रंग देने, जूते की पॉलिश, बिंदी और कुमकुम बनाने में भी होता है. इतनी ही नहीं,आदिवासी लोग इसे पारंपरिक मेकअप की तरह भी इस्तेमाल करते हैं. ये रंग प्राकृतिक होता है और त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाता.

औषधीय गुणों से भरपूर

आयुर्वेद में सिंदूरी के पौधे का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. इसकी छाल से खून की बीमारियां, बुखार, सिरदर्द और बलगम की समस्या दूर की जाती है. इसके पत्ते खून को साफ करने में मदद करते हैं. इसके बीजों की लेप मच्छरों को भगाने में असरदार होती है.

कैसे करें सिंदूरी की खेती?

भारत में सिंदूरी की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन इसकी खेती अब भी कम हो रही है. इसलिए इसकी खेती करने वालों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. इसे उगाने में ज्यादा खर्च नहीं होता, और सरकारी योजनाओं से मदद भी मिल सकती है. यह खेती टैक्स फ्री कमाई का जरिया भी बन सकती है.

भारत के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, ओडिशा और कर्नाटक में यह पौधा उगाया जाता है. इसकी खेती खराब और बंजर जमीन पर भी की जा सकती है.

सिंदूरी को उगाने के लिए जरूरी बातें

मिट्टी और मौसम: सिंदूरी की खेती लाल या दोमट मिट्टी में अच्छी होती है. यह गर्म और नम मौसम में पनपती है. इसे ठंड सहन नहीं होती.

रोपण का समय: इसे जून से सितंबर के बीच लगाया जाता है. अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो अक्टूबर तक भी लगा सकते हैं.

बीज या कटिंग: पौधे को बीज, कटिंग या टिशू कल्चर से उगाया जा सकता है. बीजों से पौधे उगाने की सफलता कम होती है, इसलिए कटिंग या तैयार पौधों को लगाना बेहतर रहता है.

पौधे की देखभाल

शुरू के 2-3 सालों में अच्छी निराई-गुड़ाई और खाद देने की जरूरत होती है. साल में दो बार हल्की सिंचाई जरूरी है, खासकर फूल और फल आने के समय. साथ ही हर साल कटाई के बाद टहनियों की छंटाई करनी चाहिए ताकि नई कोपलें निकल सकें.

फसल कब और कैसे काटें?

तीसरे साल से फूल और फल आना शुरू हो जाता है. अक्टूबर से बीजों को तोड़कर सुखाया जाता है. सुखाने के बाद बीजों को निकालकर बोरी में भर कर ठंडी और सूखी जगह पर रखा जाता है. अच्छे देखभाल से हर पौधे से 3-4 किलो तक बीज मिलने लगते हैं.

कमाई का अंदाजा

तीसरे साल से हर हेक्टेयर में करीब 1.25 टन बीज मिल सकता है. जो कि छठे साल तक यह बढ़कर 5 टन तक पहुंच सकता है. इस पौधे के बीज बाजार में ₹70 प्रति किलो बिकता है. यानी एक हेक्टेयर से सालाना ₹90,000 तक की कमाई की जा सकती है.