काला नमक चावल बना कमाई का सुपर ब्रांड, मोटी कमाई करने वाले किसानों की जुबानी

उत्तर प्रदेश का काला नमक चावल किसानों के लिए कमाई का सुपर ब्रान्ड बन गया है, जिससे एक एकड़ में 90 हजार रुपये तक का मुनाफा हो रहा है. इसकी खुशबू और क्वालिटी के चलते देश-विदेश में मांग लगातार बढ़ रही है.

अब खेती से भी बन रहा है ब्रान्ड. उत्तर प्रदेश का काला नमक चावल न सिर्फ स्वाद और खुशबू में बेजोड़ है, बल्कि किसानों के लिए मुनाफे की गारंटी भी बन चुका है. एक एकड़ में 90 हजार रुपये तक की कमाई से यह चावल धीरे-धीरे इंटरनेशनल मार्केट में अपनी पहचान बना रहा है.

खुशबू से फैली पहचान

काला नमक चावल के विशेषज्ञ वृहस्पति कुमार पांडेय बताते हैं कि यह चावल अब एक ब्रान्ड बन चुका है. इसकी खुशबू ऐसी है जो पकते ही पूरे घर को महका देती है. यही वजह है कि इसकी मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है. पांडेय कहते हैं कि अगर एक बीघा में इसकी खेती करते हैं तो 30 हजार रुपये तक का सीधा मुनाफा होता है. वहीं, एक एकड़ में 90 हजार तक की कमाई संभव है.

कोरोना काल में जब खेती बनी सहारा

वृहस्पति पांडेय ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए बताते हैं कि जब फैक्ट्रियां बंद थीं, दफ्तर बंद थे, लोग बेरोजगार हो रहे थे तब केवल कृषि ही थी जिसने भारत का पेट भरा. कई लोग जो विदेशों में नौकरियां कर रहे थे, वो लौटकर अपने गांव आए और खेती करके लाखों कमा रहे हैं. उनका कहना है कि कृषि कभी बंद नहीं होती और इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है.

जैविक खेती से बचेगा शरीर

कृषि के साथ स्वास्थ्य का भी सीधा रिश्ता है, ऐसा मानना है वृहस्पति कुमार पांडेय का. वे उनका मानना है कि कैमिकल वाली खेती से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही हैं. लेकिन जैविक और प्राकृतिक खेती से न सिर्फ मुनाफा होगा, बल्कि हम अपने शरीर को भी बीमारियों से बचा सकते हैं. जो पैसे हम इलाज में खर्च करते हैं, उससे कम खर्च में हम हेल्दी खेती कर सकते हैं.

Kala Namak Rice Farming

Kala Namak Rice Farming

पीढ़ियों से खुशबूदार खेती कर रहे किसान

प्रगतिशील किसान फूलचन्द्र कन्नौजिया बताते हैं कि मेरे पिता भी काला नमक की खेती करते थे. ये सामान्य धान से अलग है. इसकी खुशबू ही इसकी पहचान है. आज वो दो बीघा में इसकी खेती कर रहे हैं और स्थानीय बाजारों में बेचते हैं. इससे उनको मुनाफा अच्छा मिलता है.

धान खेत से ही बिक जाता है

प्रगतिशील किसान राम मूर्ति मिश्रा कहते हैं कि जब फसल तैयार होने को होती है, तभी कंपनी वाले खेत से ही खरीद लेते हैं. एडवांस में कुछ पैसे भी दे देते हैं, जिससे हमारे घर का काम चल जाता है. बाद में पूरा भुगतान कर देते हैं. जितनी कमाई कालानमक से हो जाती है, उतनी तो गन्ने से भी नहीं हो पाती.

Kala Namak Rice Farmers

Kala Namak Rice Farmers

चार दशकों से खेती कर रहे अवधेश पांडेय का अनुभव

किसान अवधेश पांडेय का कहना है कि खेती ही जीवन है और काला नमक की खेती तो उसमें सोने पर सुहागा है. हम पिछले चार दशकों से इसकी खेती कर रहे हैं और हर साल अच्छा मुनाफा मिल रहा है. इसकी खुशबू आज पूरे विश्व में फैल चुकी है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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Published: 26 May, 2025 | 06:58 PM

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