उत्तर प्रदेश के गांवों की तस्वीर अब बदल रही है. जहां पहले गलियों में कूड़े के ढेर और गंदगी आम बात थी, वहीं अब वही कूड़ा गांवों की आमदनी का जरिया बन रहा है. योगी सरकार की स्वच्छता नीति और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम ने गांव-गांव को न सिर्फ साफ किया है, बल्कि पंचायतों को आर्थिक रूप से भी मजबूत किया है. बीते दो वर्षों में गांवों में घर-घर से इकट्ठा हो रहे कचरे से सरकार ने करीब पौने चार करोड़ रुपये की कमाई कर दिखाई है.
सरकार की इस योजना का असर अब जमीनी हकीकत बन चुका है. 90 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतें साफ-सुथरी और सशक्त बनी हैं. 22 हजार से अधिक पंचायतों में अब घर-घर से कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है, जिसे वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित कर खाद में बदला जा रहा है. इससे न सिर्फ पर्यावरण को फायदा हुआ, बल्कि पंचायतों की तिजोरी भी भरने लगी.
कूड़े से दो साल में पौने चार करोड़ की कमाई
प्रदेश के 90,793 गांवों में ई-रिक्शा और ठेले से कचरा एकत्र किया जा रहा है. वहीं, 90,604 गांवों में जैविक कचरे से खाद बनाने के लिए वर्मी पिट और खाद गड्ढे बनाए गए हैं. इससे दो सालों में 3 करोड़ रुपये सिर्फ उपभोक्ता शुल्क से आए हैं. वहीं, खाद बेचकर 48 लाख और अजैविक कचरे से 29 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई हुई है.
साफ-सफाई में अब गांव पीछे नहीं
गांवों में सार्वजनिक स्थलों पर डस्टबिन लगाए गए हैं, जिससे अब ग्रामीण महिलाएं और पुरुष दोनों साफ-सफाई को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं. खुले में कचरा फेंकने की आदत अब तेजी से छूट रही है और गांवों की तस्वीर दिन-ब-दिन निखर रही है.
एक्शन प्लान बना देश के लिए मॉडल
योगी सरकार की यह योजना सिर्फ सफाई भर नहीं, बल्कि एक आत्मनिर्भर ग्राम व्यवस्था की ओर बढ़ता कदम है. अब गांव न केवल साफ हैं, बल्कि कमाई भी कर रहे हैं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश का यह मॉडल अब देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनता जा रहा है. गांवों में स्वच्छता के साथ-साथ रोजगार और सम्मान भी बढ़ा है, जो ग्रामीण जीवन के लिए नई उम्मीद लेकर आया है.